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सरकार ने रद्द किए 1.6 करोड़ राशन कार्ड, होगी 10 हजार करोड़ की बचत

Published: Jun 27, 2016 03:07:00 pm

Submitted by:

Abhishek Tiwari

डीबीटी के तहत आधार का उपयोग लाभार्थी के बैंक खातों में सब्सिडी की राशि
हस्तांतरित की जाती है जिससे इसके दुरुपयोग की आशंका खत्म हो जाती है

 Bogus Ration Card

Bogus Ration Card

नई दिल्ली। सरकार ने 1.6 करोड़ फर्जी राशन कार्ड रद्द कर दिए जिससे सालाना सब्सिडी बिल में करीब 10,000 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। यह बात वित्त सचिव अशोक लवासा ने कही। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार ने उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष रूप से रसोई गैस पर सब्सिडी देकर 14,872 करोड़ रुपये बचाए और इस साल के अंत तक 150 अन्य योजनाओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) से जोड़ेगी। डीबीटी के तहत आधार का उपयोग लाभार्थी के बैंक खातों में सब्सिडी की राशि हस्तांतरित की जाती है जिससे इसके दुरुपयोग की आशंका खत्म हो जाती है। इससे फर्जी लाभार्थियों को हटाने में मदद मिली है जिससे विभिन्न तरह की कल्याणकारी परियोजना में उल्लेखनीय बचत हुई है।

व्यय विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी संभाल रहे लवासा ने कहा कि डीबीटी के जरिए कुल बचत योजना दर योजना पर निर्भर करती है। हमने अभी आकलन नहीं किया है। फर्जी राशन कार्ड का खत्म करने के संबंध में कुछ ऐसे संकेत हैं। इसलिए 1.6 करोड़ से अधिक राशन कार्ड रद्द किए जा चुके हैं। सिर्फ इसी के मद्देनजर करीब 10,000 करोड़ रुपये की बचत का अनुमान है।

मार्च 2015 तक 11 करोड़ परिवार थे जिनके पास सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन कार्ड थे। इसी तरह रसोई गैस के मामले में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से 3.5 करोड़ फर्जी उपभोक्ताओं को छांटने में मदद मिली है। इससे सालाना 14,982 करोड़ रुपये की सब्सिडी बचाने में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि मनरेगा (ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत ऐसी ही प्रतिक्रिया मिली है और फर्जी रोजगार कार्ड खत्म किए जाने से 2015-16 में 10 प्रतिशत की बचत हुई है।

एक मिसाल देते हुए लवासा ने कहा कि हरियाणा ने केंद्र को बताया कि केरोसिन के तहत उन्होंने छह लाख फर्जी लाभार्थी हटाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने अन्य योजनाओं पर डीबीटी मुहैया कराना चाहती है ताकि सब्सिडी लक्षित वर्ग तक पहुंचे। लवासा ने कहा कि डीबीटी के दायरे में करीब 31 करोड़ लाभार्थियों को लाया गया है और मनरेगा तथा पहल(रसोई गैस के मामले में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत सीधे 1.9 करोड़ रुपये से अधिक राशि का वितरण हुआ।
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