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सरकारी कंपनियों से सरकार को उम्मीद, 5 साल में हिस्सेदारी घटाकर 32.5 लाख करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी

locationनई दिल्लीPublished: Jul 13, 2019 02:21:55 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर 32.5 लाख करोड़ रुपये जुटाएगी सरकार।
अगले पांच साल में यह रकम जुटाएगी सरकार।
इन कंपनियों में हिस्सेदारी घटाकर 40 फीसदी तक करना चाहती है सरकार।

Stake Sale in PSU

सरकारी कंपनियों से सरकार को उम्मीद, 5 साल में हिस्सेदारी घटाकर 32.5 लाख करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार अगले पांच साल में सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर करीब 47.4 अरब डॉलर (करीब 32.5 लाख करोड़ रुपये) जुटाने का प्लान बना रही है। आने वाले पांच सालों में सरकार इनमें अपनी हिस्सेदारी घटाकर 40 फीसदी करना चाहती है। अगर ऐसा होता है तो बीते दो दशक में प्राइवेटाइजेशन को लेकर केंद्र सरकार का यह पहला सबसे बड़ा कदम होगा।

पिछले सप्ताह ही अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman ) ने घोषणा किया था कि सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को सरकार कम करेगी। हलांकि, इस दौरान उन्होंने कहा था कि यह केस के आधार पर निर्भर करेगा। सरकार के इस प्लान से प्राइवेटाइजेशन की रफ्तार तेज होगी। साथ ही, साल-दर-साल सालाना विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने में भी मदद मिलेगा।


पिछले कार्यकाल में एनडीए सरकार ने जुटाया था 28.04 लाख करोड़ रुपये

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी कई कंपनियों में हिस्सेदारी बेची थी, जिससे सरकार को 40.92 अरब डॉलर (करीब 28.04 लाख करोड़ रुपये) की पूंजी जुटाने में कामयाबी मिली थी। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल यानि ने 2009-2014 के दौरान यह रकम केवल 14.52 अरब डॉलर ही था। इस प्रकार एनडीए अपने पहले कार्यकाल में यूपीए की तुलना में तीन गुना अधिक रकम जुटाने में कामयाब रही।

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इन कंपनियों में हिस्सेदारी बेच सकती है सरकार

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, सरकार ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, गेल इंडिया लिमिटेड, एनएचपीसी लिमिटेड, एनटीपीसी लिमिटेड, एनएमडीसी लिमिटेड, कोल इंडिया और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी बेचेगी। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से लिखा, “हमने इस संबंध में हिसाब लगाया है। हमारे हिसाब के अनुसार, बैंकों को छोड़ दें तो अन्य सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी घटाकर 40 फीसदी तक करने से 32.5 लाख करोड़ रुपये जुटाया जा सकता है।”

हालांकि, अधिकारियों ने यह भी बताया कि सरकार अभी भी अनुमान लगा रही है कि सरकारी कंपनियों में निवेश के लिए निवेशक तैयार हैं या नहीं। किसी भी समयसीमा में इतना बड़ा डिमांड महत्वपूर्ण हो जाता है। वहीं, जानकारों का मानना है कि इसके लिए सरकार को थोड़ा लचीला रवैया अपनाना होगा। खासतौर पर तब, जब इसमें से अधिकतर कंपनियां रिसोर्स सेक्टर की हैं और इनकी कीमतें कमोडिटी मार्केट की स्थिरता के आधार पर तय होती है।

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पूंजी जुटाने के लिए ये रास्ता अपना सकती है सरकार

केंद्र सरकार इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कुछ इस तरह से कम करना चाहती है कि भारतीय जीवन बीमा की तरह ही इनमें कंपनियों और सरकार की हिस्सेदारी संचयी रूप से 51 फीसदी से अधिक रहे। चालू वित्त वर्ष में सरकार कुछ कंपनियों में अपनी स्टेक को एक्सचेंज ट्रेडेट फंड्स में डालना चाहती है। इसके बाद इन्हें पब्लिक मार्केट में बेचा जायेगा, जिससे करीब 400 अरब रुपये जुटाया जा सकता है। इससे कुछ कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी घटकर 51 फीसदी रह जायेगी।

गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में यह भी बताईं थी कि चालू वित्त वर्ष के लिए विनिवेश का लक्ष्य 1.05 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। इसके पहले अंतरिम बजट में पीयूष गोयल ने इस लक्ष्य को 90 हजार करोड़ रुपये रखा था। पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने सफलतापूर्वक विनिवेश लक्ष्य को पूरा कर लिया था।

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