ये भी पढ़ें: प्याज की नई फसल का उत्पादन कम करेगा प्याज के दाम कंपनी को करना ये काम सरकार की ओर से जारी नए नियम के तहत लाइसेंस पाने वाली कंपनी को पेट्रोल पंप का परिचालन शुरू होने के 3 साल के भीतर सीएनजी, बायो ईंधन, एलएनजी, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन आदि जैसे वैकल्पिक माध्यमों में से किसी एक के मार्केटिंग की सुविधा भी लगानी होगी।
ये भी पढे: आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को बड़ा झटका, इंडिया रेटिंगस ने जीडीपी दर अनुमान घटाई 2002 के बाद बदला नियम आपको बता दें कि सरकार ने इससे पहले पेट्रोल पंप लाइसेंस आवंटन नियम के प्रावधानों को साल 2002 में संशोधित किया था। अब नए नियम के लिए जारी नोटिफिकेशन के तहत पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के रिटेल मार्केटिंग के लिए लाइसेंस पाने के लिये आवेदन करते समय कंपनी की न्यूनतम नेट वर्थ 250 करोड़ रुपये होना चाहिए। सरकार ने पेट्रोल पंप पाने का आवेदन शुल्क 25 लाख रुपये तय किया है।
नए नियम से होगा ये फायदा सरकार की ओर से जारी नए नियम से अब विदेशी कंपनियों का भारत आने का रास्ता साफ हो जाएगा। विदेशी की दिग्गज पेट्रोलियम कंपनियां जैसे ब्रिटेन की ब्रिटिश पेट्रोलियम, सऊदी अरब की सऊदी अरामको, फ्रांस की टोटल एसए जैसी कंपनियां आसानी से भारत में आ सकेंगी।
कम होगा सरकारी तेल कंपनियों का दबदबा मौजूदा समय की बात करें तो देश में अभी ज्यादातर पेट्रोल पंप आईओसीएल, बीपीसीएल, एचपीसीएल के ही हैं जो सरकारी कंपनियां है। नए नियम के बाद विदेशी कंपनियों और दूसरी भारती कंपनियों के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इन सरकारी कंपनियों का दबदबा कम होगा।