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चीनी माल को कम करने के लिए व्यापार समझौतों की समीक्षा करने में जुटी सरकार, दूसरे देशों के रास्ते भी आता है माल

Published: Jun 22, 2020 07:29:33 pm

Submitted by:

Pragati Bajpai

चायनीज प्रोडक्ट बैन करने की कवायद
दूसरे देशों के रास्ते भी देश में आता चायनीज माल
व्यापारिक समझौतों की समीक्षा कर रही है सरकार

india china trade

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नई दिल्ली: लद्दाख की घटना के बाद से लगातार देश में चीनी सामान को बायकाट ( boycott chinese products ) करने की मांग तेजी से उठ रही है। महाराष्ट्र सरकार ने चीन से होने वाले 3 व्यापारिक समझौतों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। लेकिन सीधे चीन के साथ व्यापार ( india china trade ) को कम करने के अलावा भी सरकार को चीन को सबक सिखाने के लिए ban chinese products के बहुत कुछ करना होगा।

दरअसल देश में चीनी सामान सिर्फ चीन द्वारा आयात नहीं होता है बल्कि कुछ अन्य देशों के रास्ते से भी हमारे देश में चीनी सामान आता है। यही वजह है कि सरकार अब चीन के अलावा ऐसे अन्य देशों के साथ भी व्यापारिक समझौतों ( trade agreement ) की समीक्षा करने में जुटी है। सरकारी महकमों में काम करने वाले लोगों का कहना है कि जिन वस्तुओं का मुक्त व्यापार समझौतों ( free trade agreement ) और द्वीपक्षीय समझौतों के तहत कारोबार हो रहा है और जिनके बारे में इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्र्रक्चर जैसे मुद्दे उठ रहे हैं।वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय उन वस्तुओं और उत्पादों के लिए स्थानीय स्तर पर विवरण जुटा रहा है।

सिंगापुर, जापान, दक्षिण कोरिया व श्रीलंका के साथ द्वीपक्षीय समझौतों पर खास नजर- इस कवायद में साउथ एशियन फ्री ट्र्रेड एरिया (साफ्टा) के अन्तर्गत आने वाले दक्षिण एशियाई देशों और आसियान समूह के देशों के साथ ट्र्रेड अरेंजमेंट के अलावा सिंगापुर, जापान, दक्षिण कोरिया व श्रीलंका के साथ द्वीपक्षीय समझौतों पर खास नजर है। दरअसल सरकार इन समझौतों को देखकर जानना चाहती है बल्कि न कमियों को ठीक करना चाहती है जिसके चलते चीन से आयात को बढ़ावा मिलता है। भारत को संदेह है कि चीन इन देशों से होकर अपने माल भारत में भेजता है।

जांच के मोड में सरकार- दरअसल सरकार को शक है कि ये देश नियमों का उल्लंघन करते हुए चीनी माल को भारत भेज रहे हैं। जिसका मतलब है कि इन देशों के साथ हुए free trade agreement ( FTA ) का दुरुपयोग हो रहा है। इसी वजह से सरकार चीन से होने वाले ऐसे आयातों की भी जांच की जाएगी, जिनमें वस्तुओं की कीमत कम दिखाई जा रही है। माना जा रहा है कि इनकी कीमत सिर्फ कागजों पर कम दिखाई जा रही है।

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