दरअसल 26 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.7 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का एलान में कहा था कि वह उन सभी कर्मचारियों के पीएफ का कॉन्ट्रिब्यूशन अपनी तरफ से जमा करेगी जिनकी सैलरी 15,000 रुपये से कम है। ये सुविधा सिर्फ उन कंपनियों को मिल सकती है जिनमें कर्मचारियों की संख्या 100 और वहां काम करने वाले ज्यादातर करमचारियों की सैलेरी 15,000 रुपये से कम है। लेकिन अब सरकार इन दोनों शर्तों को हटाने के बारे में सोच रही है। नए प्रस्ताव में 100 कर्मचारियों की सीमा की शर्त में छूट दी जा सकती है। इसके साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि मासिक सैलरी 15,000 रुपये वाली शर्त में भी ढ़ील मिल सकती है।
”ज्यादा संस्थानों को फायदा पहुंचाने के लिए 100 कर्मचारियों की सीमा को हटाया जा सकता है या फिर इसमें कर्मचारियों की संख्या में इजाफा किया जा सकता है।’
श्रम मंत्रालय पहले ही ईपीएफओ को जमीनी स्तर पर नौकरी जाने या सैलरी में कटौती को लेकर एक रिपोर्ट बनाने के लिए कह चुका है। इस रिपोर्ट को नीति निर्माताओं के सामने पेश करने के बाद कोईइ फाइनल डिसीजन लिया जा सकता है।