नई दिल्ली। वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल और मांग में गिरावट के बीच संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में वस्तु एवं सेवा कर विधेयक का पारित होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
एक अनुमान के मुताबिक जीएसटी के लागू होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में लगभग 2 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगर सरकार बुनियादी ढांचे पर जोर देना जारी रखती है तो वर्ष 2018- 19 यह आंकड़ा 9 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। जीएसटी के लागू होने से केंद्र तथा राज्य के कुल राजस्व में भी भारी इजाफा होगा।
संसद के शीतकालीन सत्र में जीएसटी विधेयक के पारित होने से सरकार विदेशी निवेशकों को यह संदेश देने में कामयाब होगी कि आर्थिक सुधारों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता बनी हुई है और ये उसकी प्राथमिकता में हैं तथा वह घरेलू स्तर पर आर्थिक चुनौतियों से निपट सकती है।
संसद के पिछले सत्र में कोई विधायी कामकाज नहीं होने के कारण सदन का काम सुचारू रूप से चलाने का जिम्मा इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद संभाला है। इसके लिए वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन ङ्क्षसह से मिले है और विपक्षी नेताओं के साथ मेल-जोल बढ़ा रहे हैं। जीएसटी लोकसभा में पारित हो चुका है, जबकि विपक्ष के विरोध के कारण राज्यसभा में लंबित है।
सही समय
विश्लेषकों के अनुसार सभी राजनीतिक दलों को यह समझना चाहिए कि जीएसटी को पारित करने का यह सही समय है और देश की आर्थिक स्थिति इसमें देर करने की हालत में नहीं है। पेरिस आतंकवादी हमले के बाद विश्व की राजनीतिक स्थिति भी बदल रही है। इस हमले और इसके बाद की घटनाओं ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंद किया है।
महंगाई घटेगी
यूरोप, चीन और जापान में पहले ही मंदी का दौर चल रहा है। इसका असर देर सबेर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। जीएसटी के लागू होने से कर संग्रहण की जटिलताएं दूर होगीं और अप्रत्यक्ष करों को तर्कसंगत बनाया जा सकेगा। इससे उत्पादन की लागत में कमी आएगी जिसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा जिससे उनकी खरीद क्षमता बढ़ेगी। मुद्रास्फीति में भी कमी आएगी।
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