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रुपए में कमजोरी कहीं अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी तो नहीं ? जानिए क्यों

पिछले एक महीने में अमरीकी डाॅलर के मुकाबले रुपए में 3 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।

नई दिल्लीMay 10, 2018 / 12:20 pm

Ashutosh Verma

नर्इ दिल्ली। पिछले एक महीने में अमरीकी डाॅलर के मुकाबले रुपए में 3 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इसके साथ ही रुपया अपने एशियन समकक्षों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी भी रही है। रुपए का लगातार गिर रहे इस स्तर के मुख्यत: दो कारण है। पहला ये कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के कीमतों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। अभी अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के र्इरान से परमाणु समझौते के तोड़ने के बाद विशेषज्ञों को मानना है कि भविष्य में कच्चे तेल के दाम में अभी आैर भी बढ़ोतरी संभव है। रुपए के स्तर गिरने का दूसरा प्रमुख कारण ये है कि बीते कुछ समय में विदेशी निवेशकों ने भारत में निवेश को लेकर कम रूचि दिखार्इ है। पिछले साल जीएसटी के लागू होने के बाद अब कच्चे तेल के बढ़ते दाम आैर रुपए के लगातार गिरते स्तर को देखकर भारतीय अर्थव्यस्था के लिए चिंता खड़ी हो गर्इ है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि रुपए में कमजोरी कब तक थमेगी आैर इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर कितना बड़ा असर पड़ेगा? आइए जानते हैं इसके बारे में।


जून तक रुपए में हो सकता है सुधार

एक अंग्रेजी वेबसाइट ब्लूमबर्ग के सर्वे रिपाेर्ट में सामने आया है कि मार्च माह से लेकर अब तक डाॅलर के मुकाबले रुपए आैर भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर इन मामलों के जानकारों के विचार में काफी अंतर देखने को मिला है। इस सर्वे में 36 जानकारों मे से 14 का सीधे तौर पर मानना है कि रुपए की कमजोरी से आने वाले दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए संकंट पैदा हो सकता है। इनमें से एक का तो ये भी मानना है कि जून तक डाॅलर के मुकाबले रुपया 68 के स्तर को भी छू सकता है। आपको याद दिला दें कि रुपए का अब तक का सबसे निचला स्तर 68.85 था, जो 2013 में इस स्तर पर पहुंचा था। इन 36 विशेषज्ञों के समेकित अनुमान को देखें तो पता चलता है कि इस साल जून तक डाॅलर के मुकाबले रुपया 65.27 के आसपास रहेगा वहीं मार्च 2019 तक ये 65.45 पर रहने का अनुमान हैंं

विनिमय दर को लेकर सतर्क है आरबीआर्इ

भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआर्इ) भी विनमय दर को लेकर सतर्क दिखार्इ दे रही है। करेंसी डीलर्स का मानना है कि केन्द्रीय बैंक बाजार में थोड़ी हस्तक्षेप कर रही है लेकिन वो भी इसको लेकर अपनी पूरा जोर नहीं लगा रही है। डाॅलर के मुकाबले रुपए में कमजाेरी से पब्लिक सेक्टर बैंकों को थोड़ी मजबूती मिली है लेकिन ये नाटकीय रूप से भिन्न नहीं हैं।


अारबीआर्इ ने रिजर्व रखा है 400 अरब डाॅलर का फाॅरेन एक्सचेंज

अारबआर्इ इसलिए भी शांत हैं क्योंकि उसने फॅारेन एक्सचेंज रिजर्व के लिए 400 अरब डाॅलर रिजर्व रखा है। इस पर निजी क्षेत्र के एक बड़े बैंक के अधिकारी का कहना है कि, आरबीआर्इ द्वारा रिजर्व किया गया फाॅरेन एक्सचेंज रिजर्व काफी अहम है आैर इसमें सबसे खास ये है कि स्त्रोतों से इसे बनाया गया है।

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मौद्रिक नीति के रिपोर्ट में अहम संकेत

अप्रैल में जारी किए हुए मौद्रिक नीति रिपोर्ट में इसको लेकर कुछ अहम संकेत हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, आरबीआर्इ रुपए के मौजूदा स्तर के आधार बनाकर वित्त वर्ष 2019 के लिए मुद्रास्फिति का का अनुमान लगा रही है। उस समय डाॅलर के मुकाबले रुपया 65 के अासपास टे्रड कर रहा था।


मंदी को झेल सकता है विनिमय दर

इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि रुपए में 5 फीसदी की कमजोरी से घरेलू मुद्रास्फिति में 15 बेसिस प्वाइंट को बढ़ा देगा। विनिमय दर इस मंदी को झेल सकता है आैर यदि रुपया 68 के स्तर तक भी गिरता है तो इससे होने वाले प्रभाव को झेला जा सकता है।

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