सूत्रों के अनुसार ईडी को फर्स्टलैंड के जरिए नुपॉवर तक करोड़ों रुपए पहुंचाने के एक अवैध लेन-देन के बारे में जानकारी मिली। फर्स्टलैंड का स्वामित्व मैट्रिक्स समूह के अध्यक्ष और एस्सार समूह के सहसंस्थापक रवि रुईया के दामाद निशकांत कनोडिया के पास है।
ईडी को संदिग्ध लेन-देन के बारे में तब पता चला, जब कनोडिया से रविवार और सोमवार को पूछताछ की गर्इ। चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन समूह के एमडी वेणुगोपाल धूत से पिछले पांच दिनों के दौरान मुंबई में हुई पूछताछ में भी इन लेनदेन के बारे में एजेंसी को सुराग मिला।
सूत्रों के अनुसार नुपॉवर को धूत और कनोडिया के फर्स्टलैंड के स्वामित्व वाली विभिन्न कंपनियों से करोड़ों रुपए के लेन-देन हुए हैं। लेकिन लेन-देन कंपनियों के एक जाल के जरिए किया गया। हमें सूत्र स्थापित करना है। ईडी को पता चला है कि नुपॉवर को फस्टलैंड से 3,250 करोड़ रुपए का निवेश मिला और इसकी प्रक्रिया दिसंबर 2010 में शुरू हुई थी।