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ILFS संकट का असर अब सेना के लिए बनाए गए फंड्स पर, बेकार हो सकते हैं निवेश

locationनई दिल्लीPublished: Mar 10, 2019 06:14:52 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

पहले ही पब्लिक सेक्टर में काम करने वाले लाखों वेतनभोगियों को इसकी मार झेलनी पड़ी है।
भारतीय सेना के पास तीन ऐसे फंड हैं जहां देशवासी योगदान दे सकते हैं।
सेनाओं की सदस्यता और घटना के मामले में लाखों सेनाओं और उनकी विधवाओं को मिलने वाला सहायता निवेश ईएलएंडएफएस डिफॉल्ट के बाद लगभग बेकार हो गया है।

ILFS crisis

ILFS संकट का असर अब सेना के लिए बनाए गए फंड्स पर, बेकार हो सकते हैं निवेश

नई दिल्ली। इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफ) संकट का असर अब व्यापक तौर पर देखने को मिल रहा है। इसी सिलसिले में न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने कहा है कि इस संकट का असर पर अब भारतीय सशस्त्र बलों पर दिखाई दे रहा है। पहले ही पब्लिक सेक्टर में काम करने वाले लाखों वेतनभोगियों को इसकी मार झेलनी पड़ी है। अब कहा जा रहा है कि सशस्त्र बलों पर भी इसका बुरा असर देखने को मिल सकता है। दरअसल, न्यूज एजेंसी ने पाया कि सशस्त्र बलों की कुल वर्ग (मुख्य रूप से सेना ) ने अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए आईएलएंडएफएस बॉन्ड में निवेश किया था जिसकी उस दौरान रेटिंग था।


सेना ने लिए हैं कई तरह के फंड

भारतीय सेना के पास तीन ऐसे फंड हैं जहां देशवासी योगदान दे सकते हैं। इनमें सियाचिन हिमस्खलन और पठानकोट हमले के बाद साल 2016 में गठित किया गया सेना कल्याण कोष, सेना केन्द्रीय कल्याण कोष और पैरा-मेडिकल पुनर्वास केंद्र पुणे है। ये फंड उन सशस्त्र बलों के परिवारों के लिए है जिन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि इन फंड्स ने आईएलएंडएफएस फंड में निवेश किया है या नहीं। इसमें प्रमुख राष्ट्रीय रक्षा कोष भी है जिसे राष्ट्रीय रक्षा प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए नकद और स्वेच्छा से स्वैच्छिक दान का प्रभार लेने के लिए स्थापित किया गया था।


ऐसे होता है फंड का इस्तेमाल

इस फंड का इस्तेमाल सशस्त्र बलों, अद्र्धसैनिक बलों के सदस्यों और उनके आश्रितों के लिए किया जाता है। 31 मार्च 2018 तक, कुल खर्च 64.75 करोड़ रुपए का रहा, कुल रसीद 83.35 करोड़ रुपए का रहा। साथ ही कुल बैलेंस 1,115.18 करोड़ रुपए का रहा। पूर्व-सर्विसमेन के लिए भी एक विभाग है जोकि वॉर में हताहतों की विधवाओं के लिए होता है। यह कर्तव्यों के दौरान दुर्घटना के कारण मृत्यु, आतंकी हिंसा के कारण मृत्यु, युद्ध या सीमा पर दुश्मन की कार्रवाई के दौरान मौत या आतंकवादियों / आतंकवादियों के खिलाफ मौत और युद्ध या दुश्मन की कार्रवाई में दुश्मन की कार्रवाई के दौरान मौत विशेष रूप से नोट किया गया है पहले दो मामलों में 10 लाख रुपए और बाद के दो मामलों में क्रमश: 15 और 20 लाख रुपए हैं। युद्ध विधवाओं को कई अन्य लाभ प्रदान किए जाते हैं।


बेकार हुए फंड्स के निवेश

घायल और सेना विधवाओं का समर्थन करने के उद्देश्य से सैनिकों द्वारा गठित इन फंडों ने रेटिंग एजेंसियों द्वारा चित्रित रेटिंग और सुरक्षा आश्वासनों पर विचार करते हुए इन बॉन्ड्स में निवेश किया है। सेनाओं की सदस्यता और घटना के मामले में लाखों सेनाओं और उनकी विधवाओं को सहायता प्रदान करता है। लेकिन, आईएलएंडएफएस डिफॉल्ट के बाद ये सभी निवेश लगभग बेकार हो गए हैं। जिसके बाद लाखों सशस्त्र बलों को मिलने वाला हित व भविष्य को को वित्तीय तौर पर खतरे में डाल दिया है।

बन सकता है चुनावी मुद्दा

हालांकि, प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इसके बारे में कार्रवाई को लेकर सेना रक्षा मंत्रालय से गुहार लगा सकता है। चूंकि, यह सुरक्षा फंड तैयार करना सेना का गैर-सरकारी प्रयास है, ऐसे में सरकार इसको लेकर फौरी तौर पर समाधान नहीं निकाल सकती है। हालांकि, सरकारी सूत्रों ने कहा कि पुलावामा अटैक व उसकी जवाबी कार्रवाई के बाद आगामी चुनाव में यह एक मुद्दा बन सकता है।
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