रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा से 2017 के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 9 फीसदी के बराबर नुकसान हुआ है। इस दौरान हिंसा से वैश्विक अर्थव्यवस्था को पीपीपी आधार पर 14,760 अरब डॉलर का नुकसान हुआ।
•Jun 10, 2018 / 02:52 pm•
Saurabh Sharma
हिंसा की वजह से देश को हुआ 80 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान
नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था को क्रय शक्ति क्षमता (पीपीपी) के मामले में हिंसा की वजह से पिछले साल 1,190 अरब डॉलर यानी 80 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। यह नुकसान प्रति व्यक्ति के हिसाब से करीब 595.40 डॉलर यानी 40 हजार रुपए से अधिक है। ताज्जुब की बात तो ये है कि देश में कर्इ लाख लोग एेसे हैं जिन्हें 40 हजार रुपए की आमदनी तक नहीं होती है। इंस्टीट्यूट फॉर इकॉनॉमिक्स ऐंड पीस की रिपोर्ट में यह बात सामने आर्इ है, जो 163 देशों एवं क्षेत्रों का अध्ययन करने के बाद तैयार की गर्इ है।
9 फीसदी के बराबर का नुकसान
रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा से 2017 के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 9 फीसदी के बराबर नुकसान हुआ है। इस दौरान हिंसा से वैश्विक अर्थव्यवस्था को पीपीपी आधार पर 14,760 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। यह वैश्विक जीडीपी का 12.4 फीसदी है जो प्रति व्यक्ति 1,988 डॉलर होता है। रिपोर्ट में कहा गया कि आकलन में हिंसा के प्रत्यक्ष-एवं परोक्ष प्रभावों समेत आर्थिक गुणात्मक प्रभाव को भी शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार गुणात्मक प्रभाव उन अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों का भी आकलन करता है जो हिंसा के प्रत्यक्ष प्रभाव को टाल दिए जाने की सूरत में हो सकते थे।
इन देशों की सबसे बुरी स्थिति
वहीं दक्षिण एशिया क्षेत्र में अफगानिस्तान और पाकिस्तान दो सबसे खराब देश बने हुए हैं और इनकी स्थिति और खराब हुई है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘2017 के दौरान हिंसा का कुल वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पिछले दशक के किसी भी अन्य साल से अधिक रहा है।’ रिपोर्ट के अनुसार मुख्य तौर पर आंतरिक सुरक्षा खर्च में वृद्धि के कारण हिंसा का वैश्विक आर्थिक प्रभाव 2016 की तुलना में 2017 में 2.1 फीसदी बढ़ा है। सीरिया इस दौरान जीडीपी के 68 फीसदी खर्च के साथ सबसे खराब देश रहा है। इसके बाद 63 फीसदी के साथ अफगानिस्तान और 51 फीसदी के साथ इराक का स्थान है।
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