आरबीआइ ने 7.4 फीसदी की दर से वृद्धि का अनुमान लगाया था
इसके पहले रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया (आरबीआइ) ने वित्त वर्ष 2017-18 में देश की आर्थिक वृद्धि दर को 6.6 फीसदी से बढ़कर 7.4 फीसदी का अनुमान लगाया है। आरबीआइ को उम्मीद है कि निवेश गतिविधियों में तेजी देखने को मिल रहा है जिसके वजह से आर्थिक विकास दर में भी तेजी देखने को मिल सकता है। हालांकि इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, अारबीआइ द्वारा में अनुमान से पहले दरों में वृद्धि का चक्र शुरू करने, हाल ही में हुए बैंकिंग क्षेत्र में धोखाधड़ी आैर समग्र वृद्धि पर नाकारात्मक असर डाल सकता है। ये कुछ एेसे कारक है जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान के लिए खतरा बन सकता है।
तेल की बढ़ती कीमतें कम कर सकती है आर्थिक रफ्तार
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में कर्इ कारणों से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 75 डाॅलर प्रति बैरल के करीब तक पहुंचा है। कच्चे तेल की कीमतों में दिसंबर 2017 के बाद से अबतक 12 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस रिपोर्ट के अनुसार कच्चे तेल कीमतों में 10 डाॅलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से आर्थिक वृद्धि दर में 0.10 फीसदी आैर कम हो सकता है। वहीं अन्य कारकों से इसमें 0.15 से 0.20 फीसदी तक की कमी देखने को मिल सकती है। हालांकि ये भी अनुमान लगाया जा रहा है कि तेल की लगातार बढ़ती कीमतों से आर्थिक वृद्धि दर को झटका लग सकता है। लेकिन इसके बावजूद भी 2018-19 आैर उससे आगे अार्थिक गति में सुधार देखने को मिल सकता है।