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कम हो सकेगा वायु प्रदुषण
भारतीय ऑटो एलपीजी उद्योग के शीर्ष संगठन ‘इंडियन ऑटो एलपीजी कोलिशन (आईएसी)Ó ने अपने तरफ से जारी विज्ञप्ति में कहा कि एक प्रभावी और प्रदूषण-मुक्त ईंधन किट को जीएसटी की सबसे ऊंची दर में रखना सरकार के उन प्रयासों को ही पीछे ले जाने वाला है, जिसके तहत शहरी इलाकों में वायु प्रदूषण को कम करने के प्रयास किये जा रहे हैं। इसी संगठने के महानिदेश कने सुयश गुप्ता ने कहा, “ऑटो एलपीजी कन्वर्जन किट को विलासिता की वस्तु नहीं माना जाना चाहिये। इसे जीएसटी के सबसे ऊंचे स्लैब में नहीं रखा जाना चाहिये। ऐसे समय में जब हमारे शहर वाहनों के प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं, तब उपभोक्ताओं को स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल हेतु प्रेरित करने की दिशा में हर सम्भव प्रयास किया जाना चाहिए।”
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एलपीजी वाहन कम मात्रा में छोड़ते हैं प्रदुषण करने वाले एनओएक्स
इसमें आगे कहा गया कि पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की तुलना में एलपीजी ऑटो मामूली मात्रा में वायु प्रदुषण वाले पार्टिकुलेट मैटर छोड़ते हैं। साथ ही डीजल की तुलना में 96 फीसदी कम नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओएक्स) और पेट्रोल की तुलना में 68 फीसदी कम एनओएक्स निकलता है। बता दें कि एनओएक्स एक ऐसा प्रदुषक है जिससे लोगों को सांस संबंधी समस्याएं होती हैं। एलपीजी चालित आटो पेट्रोल की तुलना में 22 फीसदी कम कार्बन डाइऑक्साइट छोड़ती है।
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