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किसी जज से कम नहीं होती है सीबीआर्इ डायरेक्टर की सैलरी, जानिये खास बातें

Published: Oct 26, 2018 02:50:53 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

सीबीआर्इ डायरेक्टर की सैलरी हार्इकोर्ट के जज के आसपास होती है, उसे कर्इ तरह के अलाउंस तक दिए जाते हैं।

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किसी जज से कम नहीं होती है सीबीआर्इ डायरेक्टर की सैलरी, जानिये खास बातें

नर्इ दिल्ली। मौजूदा समय में सीबीआर्इ आैर सीबीआर्इ डायरेक्टर का पद काफी चर्चाआें में है। आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवार्इ करते हुए पूरे मामले में सीवीसी को दो हफ्ते में रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर आम कपड़ों में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी को चलाने वाला डायरेक्टर कितनी तनख्वाह पाता है। अगर हम आपको कहें कि सीबीआर्इ डायरेक्टर की सैलरी किसी जज से कम नहीं होती, तो आपको भी शाॅक्ड लगेगा। जी हां, यह सच है। सीबीआर्इ डायरेक्टर की सैलरी के बारे में अगर आपको विस्तार से जानना है तो आपको यह खबर पूरी पढ़नी होगी। जिसमें सीबीआर्इ आैर उससे जुड़ी तमाम रोचक बातें आपको पता चलेंगी।

ये होती है सीबीआर्इ डायरेक्टर की सैलरी
– सीबीआर्इ डायरेक्टर की फिक्स्ड बेसिक सैलरी 80 हजार रुपए होती है।
– डियरनेस अलाउंस बेसिक का 120 फीसदी होता है।
– स्पेशल इंसेन्टिसव अलाउंस बेसिक का 15 फीसदी होती है।
– बेसिक में डीए भी जोड़ा गया होता है।
– यानी सीबीआर्इ डायरेक्टर की कुल सैलरी 1.60 लाख रुपए से 2.20 लाख रुपए तक होती है।

हार्इ कोर्ट के जज की सैलरी होती है इतनी
– सुप्रीम कोर्ट के जज की सैलरी 250,000 रुपए प्रति माह होती है।
– जबकि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की सैलरी 280,000 रुपए प्रति माह होती है।
– जबकि हार्इकोर्ट के चीफ जस्टिस की सैलरी 250,000 रुपए प्रति माह होती है।
– वहीं हार्इकोर्ट के बाकी जजों की सैलरी 225,000 रुपए प्रति माह होती है।

कौन करता है सीबीआर्इ डायरेक्टर की नियुक्ति
सीबीआई निदेशक की नियुक्ति एक कमिटी करती है। कमिटी में पीएम, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस या उनके द्वारा सिफारिश किया गया सुप्रीम कोर्ट का कोई जज शामिल होते हैं।

डायरेक्टर को हटाने की यह होती है
साल 1997 से पहले सीबीआई निदेशक को सरकार अपनी मर्जी से कभी भी हटा सकती थी। ऐसे में सीबीआई निदेशकों का स्वतंत्र रूप से काम करना संभव नहीं था। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में विनीत नारायण मामले के बाद सीबीआई निदेशक का कार्यकाल कम से कम दो साल का कर दिया ताकि निदेशक स्वतंत्र होकर अपना काम कर सके।

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