राष्ट्र के समक्ष खड़ी हो रही चुनौतियां
इतना ही नहीं, मनमोहन सिंह का मानना है कि भारत में ग्रामीण ऋणग्रस्तता और शहरी अव्यवस्था के चलते आकांक्षी युवाओं में असंतोष पैदा हो रहा है। दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में आयोजित सम्मेलन के दौरान उन्होंने बताया कि, ‘कृषि क्षेत्र का बढ़ता संकट, रोजगार के कम होते अवसर, पर्यावरण में आती गिरावट और इससे भी ऊपर विभाजनकारी ताकतों के कार्यरत रहने से राष्ट्र के समक्ष चुनौतियां खड़ी हो रही हैं।’
नोटबंदी व जीएसटी से कम हुए रोजगार के मौके
सिंह ने नोटबंदी और जीएसटी पर भी अपनी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि लघु और असंगठित क्षेत्र को विनाशकारी नोटबंदी और जीएसटी के लापरवाही भरे तरीके से किए गए क्रियान्वयन से भारी नुकसान हुआ। औद्योगिक क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करने के प्रयास असफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘हम तेजी से बदलती दुनिया में रह रहे हैं। एक तरफ हम तेजी से दुनिया की अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ रहे हैं और विश्व बाजारों में पहुंच रहे हैं और दूसरी तरफ घरेलू स्तर पर हमारे सामने व्यापक आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां खड़ी हैं।’
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