इससे पूर्व फिच ने पिछले साल दिसंबर में चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया था। एजेंसी ने कहा कि भारत की विकास दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 7 प्रतिशत और अप्रैल-जून तिमाही में 8 प्रतिशत की ऊंचाई पर रहने के बाद लगातार दो तिमाहियों में थोड़ी कमजोर पड़ गई और अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 6.6 प्रतिशत रही। रिपोर्ट के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र और कुछ हद तक कृषि क्षेत्र की गतिविधियों की रफ्तार घटने से विकास दर सुस्त पड़ी है। एजेंसी ने वैश्विक जीडीपी की वृद्धि दर का अनुमान भी कम किया है। एजेंसी ने वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर का पूर्वानुमान 2018 के लिए 3.3 प्रतिशत से घटाकर 3.2 प्रतिशत और 2019 के लिए 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.8 प्रतिशत कर दिया।
ब्याज दर में चौथाई फीसदी कटौती की उम्मीद
फिच ने मूल ब्याज दर (बेस रेट) के अनुमान में भी बदलाव किया है। आसान वैश्विक मौद्रिक परिस्थितियां तथा महंगाई दर सीमित दायरे में रहने का हवाला देते हुए रिजर्व बैंक द्वारा मूल दर (रेपो रेट) में 0.25 फीसदी की एक और कटौती किए जाने की उम्मीद जताई है।
73 तक जा सकता है रुपया
फिच के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपया दिसंबर 2019 तक 72, जबकि दिसंबर 2020 तक 7& रुपए प्रति डॉलर के स्तर तक जा सकता है। इसने कहा कि वित्तीय और मौद्रिक नीतियां वृद्धि दर को बढ़ावा देने वाली हैं और आरबीआइ ने भी पिछले महीने रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटाई है।