रुपए की कमजोरी बाहरी फैक्टर्स का दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम
डाॅलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी को लेकर माॅर्गन का मानना है कि ये कर्इ बाहरी फैक्टर्स का दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम है। रुपया इस बात पर निर्भर है कि डाॅलर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्या प्रदर्शन कर रहा है, इस बात पर नहीं कि रुपए का बाजार में क्या प्रदर्शन रहा है। मौजूदा समय में अमरीकी का बाजार पर खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है। सभी संभावित टैरिफ वाॅर से दुनियाभर के बाजार में उथलपुथल है। ये सबसे पहले दक्षिण अमरीकी देश वेनेजुएला से शुरू हुआ था आैर तुर्की के रास्ते अब दुनियाभर क बाजारों पर हावी हो रहा है। व्यापार को लेकर मोदी की नीतियों से हम सबका भारत में निवेश को लेकर भरोसा बढ़ा है। ये अमरीकी उधारकर्ता वर्तमान में विलय आैर अधिग्रहण, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, ब्रोकरेज अौर प्राइवेट इक्विटी जैसे इंस्टीट्यूशन बिजनेस में पर ध्यान दे रही है।
भविष्य में बड़े निवेश की कर सकते हैं घोषणाएं
जेम्स ने आगे कहा कि हमारे पास वैश्विक निवेश के लिए एक इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड है। इसमें पहले फंड के तहत 4 अरब डाॅलर इकट्ठा हो चुका है आैर संभवतः दूसरे चरण में 4.5 अरब डाॅलर हो इकट्ठा किया जाएगा। इसे ही वैश्विक स्तर पर निवेश किया जाएगा। भारत के लिए मैं यही कह सकता हूं कि यहां की आबादी आैर अर्थव्यवस्था को देखते हुए कहा जा सकता है कि यहां बहुत अधिक संभावनाएं है। आने वाले समय हो सकता है हम भारत में निवेश को लेकर आैर घोषणाएं करें।