बेस र्इयर में बदलाव के बाद बढ़ी मुश्किलें
नीति आयोग ने अपने बयान में कहा है, “बैठक के दौरान एक्सपर्ट्स ने विश्लेषण के लिए आैर जानकारियां मांगी है जिसपर काम किया जा रहा है। इसके बाद ही डाटा जारी करने की तारीख को आैर आगे बढ़ा दिया गया है।” गौरतलब है कि जनवरी 2015 में सरकार ने बेस र्इयर को 2004-2005 से बदलकर 2011-2012 तय करने का फैसला लिया था। इसके पहले भी साल 2010 में बेस र्इयर में को रिवाइज किया जा चुका है। बेस र्इयर में बदलाव के बाद वित्त वर्ष 2013-14 के लिए 6.9 फीसदी के जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाया गया था। जो कि 2004-05 की तुलना में 4.7 फीसदी था।
इसी हिसाब से 2012-13 के लिए जीडीपी दर को 4.5 फीसदी से रिवाइज कर 5.1 फीसदी किया गया था। हालांकि, वित्त वर्ष 2011-12 के पहले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसआे) को रिवाइज्ड बेस र्इयर को जारी करने में परेशानी हुर्इ थी। सीएसआे को ये परेशानी खासतौर पर MCA-21 डाटाबेस की अनुपलब्धता की वजह से हुआ था। उस वक्त के मुख्य सांख्यिकिकार टी सी ए अनंत ने साल 2017 में कहा था कि उन्हें डाटा विश्लेषण करने में कर्इ तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।