नीति आयोग ने दी जानकारी आपको बता दें कि उन्होंने स्वतंत्र ऋण प्रबंधन कार्यालय की स्थापना की जरूरत पर भी बल दिया। कुमार ने कहा कि पहले इस बात पर चर्चा होती है कि केंद्रीय बैंक की भूमिका मौद्रिक नीति-निर्माता या निगरानी करने वाले संगठन के रूप में सीमित होनी चाहिए या सरकारी ऋण प्रबंधन भी उसकी जिम्मेदारियों में से एक होना चाहिए।
2014 में हुई थी इसकी घोषणा इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में वित्त मंत्रालय ने इसकी (स्वतंत्र ऋण प्रबंधन कार्यालय की स्थापना) घोषणा की थी लेकिन यह नहीं हो सका। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने फरवरी, 2015 में अपने बजट भाषण में वित्त मंत्रालय के अंतर्गत सार्वजनिक ऋण प्रबंधन एजेंसी (पीडीएमए) के गठन का प्रस्ताव रखा था। पीडीएमए के गठन का विचार हितों के टकराव की वजह से रखा गया था।
आरबीआई भी ब्याज दर पर लेता है फैसला वहीं, आरबीआई एक तरफ प्रमुख ब्याज दर पर फैसला करता है जबकि दूसरी तरफ वह सरकारी बॉन्ड की खरीद और बिक्री भी करता है। कुमार ने कहा कि रिजर्व बैंक की विभिन्न जिम्मेदारियों को बांटने पर भी चर्चा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति लक्ष्य हासिल करने का सांविधिक प्राधिकरण बनाकर साहसिक कार्य किया है।