दूसरी तिमाही में नीचे गिरेगी आर्थिक नीति
बता दें कि पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही यानी जनवरी-मार्च में भाारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्घि दर 7.7 फीसदी थी। ये जीडीपी पिछले सात तिमाहियों में सबसे उच्चत्तम स्तर पर है। दरअसल विनिर्माण आैर सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन आैर कृषि क्षेत्र में अच्छे उत्पादन से भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज रफ्तार देखने को मिली थी। नोमूरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सख्त वित्तीय स्थिति, वैश्विक वृद्घि में सुस्ती आैर व्यापार प्रतिकूल शर्तों से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में वृद्घि दर नीचे आएगी।
दूसरी तिमाही में जीडीपी के 7.2 फीसदी रहने की है उम्मीद
नोमूरा ने अनुमान लगाया है कि अप्रैल-जून तिमाही मं जीडीपी की वृद्घि दर उच्चत्तम स्तर पर होगी लेकिन इसके बाद दूसरी तिमाह में ये घटकर 7.2 फीसदी रह जाएगी। पहली तिमाही में इसके करीब 7.8 फीसदी रहने की उम्मीद है। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा वृहद आर्थिक आर्थिक परिस्थितियें के मद्देनजर केंद्रीय बैंक अगामी अगस्त को अपने मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में चौथार्इ प्रतिशत यानी 0.25 फीसदी की वृद्घि कर सकता है।