ये है बैंकों के बैड लोन का हाल
रिजर्व बैंक की ओर से आरटीआई के जवाब में दी गई जानकारी के अनुसार 30 जून 2014 तक सरकारी बैंकों का कुल एनपीए 224542 करोड़ रुपए था। जबकि दिसबंर 2017 तक यानी करीब साढ़े तीन साल में यह आंकड़ा बढ़कर 723513 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। आरबीआई की ओर से दिया गया यह आंकड़ा सरकारी बैंकों की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के आधार पर है। आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने इस अवधि के दौरान लोन की कुल रिकवरी की जानकारी भी दी गई है। आरबीआई के अनुसार अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2018 के मध्य सरकारी बैंकों की ओर से कुल 177931 करोड़ रुपए लोन की राशि के रूप में रिकवर किए हैं। हालांकि, यह राशि इस अवधि में बांटे गए लोन के मुकाबले काफी कम है।
रघुराम राजन के बयान के बाद घिरी केंद्र सरकार
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कुछ दिन पहले संसदीय समिति को दिए लिखित जवाब में एनपीए को लेकर पीएमओ को घेरा था। राजन ने अपने जवाब में कहा था कि उन्होंने बड़े बैंक घोटालेबाजों की एक लिस्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी थी। लेकिन आगाह करने के बाद भी किसी भी घोटालेबाज पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। राजन के इस बयान के सामने आने के बाद केंद्र की मोदी सरकार घिर गई है। विपक्ष मोदी सरकार पर बैंकों के घोटालेबाजों को बचाने का आरोप लगा रहा है। इस बीच भगौड़े शराब कारोबारी विजय माल्या का बयान सामने आने के बाद केंद्र सरकार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। विजय माल्या ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने देश छोड़ने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी।