विदेशों में नागरिकता लेने वाले भारतीयों की संख्या में भारी इजाफा
ब्रिटेन की एक फर्म विदेशों नागरिकता दिलाने को लेकर दावा करती है कि मेहुल चोकसी द्वारा एंटीगुआ में नागिरकता लेने के बाद अब भारतीयों की संख्या में दोगुना इजाफा हुआ है। हेनली एंड पार्टनर्स नाम की ये फर्म जर्सी में काम करती है जो कि इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम के तहत लोगों को दुनिया के कर्इ देशों की नागरिकता दिलाने में भी मदद करती है। इस फर्म के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर विदेशी नागरिकता लेने वालों की संख्या में 320 फीसदी का इजाफा हुआ है जिसमें अधिक से अधिक भारतीय हैं। वहीं एक दूसरी फर्म जो कि अधिक कमार्इ करने वाले व्यक्तियों को दोहरी नागरिकता देने में मदद करती है, इसका कहना है कि भारतीयों द्वारा विदेशों में जाने के लिए की जाने वाली पूछताछ में 70 से 80 फीसदी का इजाफा हुआ है।
इस वजह से लोग लेते हैं विदेशों में नागरिकता
इस मामले से जुड़े एक जानकार का कहना है, “अमातौर पर यह लोगों के लिए प्लान बी की तरह है। करीब 80 से 90 फीसदी हमारे क्लाइंट्स एेसे हैं जो देश नहीं छोड़ते हैं लेकिन उनके पास दोहरी नागरिकता होती है। वो अपने बच्चों काे विदेशों में पढ़ने के लिए भेजते हैं या अपने पैसों को दूसरी जगह लगाने के लिए एेसा करते हैं। यदि अाप पुर्तगाल का गोल्डेन वीजा लेते हैं तो आपको एक साल में केवल 7 दिन ही वहां बीताना अनिवार्य है।”
इन्वेस्टमेंट स्कीम के तहत विदेशों की लेते हैं नागरिकता
चूंकि भारत में दोहरी नागरिकता नहीं दी जाती है, एेसे में भारतीय लोग इन्वेस्टमेंट स्कीम के तहत यह विकल्प चुनते हैं। वो अपने पैसे को सरकार की नजर बचाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाते हैं। ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हार्इ नेटवर्थ श्रेणी में आने वाले 7 हजार भारतीयों ने 2017 में भारत छोड़ा था। अमरीका, कनाडा व आॅस्ट्रेलिया भारतीयों की पहली पसंद है। लेकिन 30 से 40 एेसे देश हैं जहां भारतीयों को नागरिकता लेने में आसानी होती है। इनमें ग्रीस आैर माल्टा भी शामिल है। मेहुल चोकसी द्वारा एंटीगुआ की नागरिकता लेने के बाद लोगों को विकल्प बहुत अधिक भा रहा है। भारत में वकील आैर टैक्स सलाहकार भी अपने क्लाइंट्स को वैश्विक कंपनियों में निवेश करने की सलाह देते हैं।
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