ये भी पढें: जीडीपी के साथ पांच साल के निचले स्तर पर कंज्यूमर कांफिडेंस इंडेक्स थाली से गायब प्याज बढ़ते दामों के बाद रसोई में आमतौर पर सबसे अधिक प्रयोग होने वाला प्याज अब लोगों की थाली से गायब होने लगा है। सिद्दांगैया के अनुसार, प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं और प्याज की कमी जनवरी के बीच तक रहने की उम्मीद है। भारत को वार्षिक 150 लाख मीट्रिक टन प्याज की आवश्यकता है। कर्नाटक में 20.19 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन होता है। उत्पादन व फसल पकने के बाद हुए नुकसान को देखा जाए तो इस बार लगभग 50 फीसदी प्याज बर्बाद हो गया है।
ये भी पढ़ें: वित्त मंत्री ने दिए संकेत, अगले बजट में इनकम टैक्स में मिल सकती है राहत नही बढ रही है आवक नवंबर में कर्नाटक के बाजारों में एक दिन में 60-70 क्विंटल प्याज प्राप्त हुआ, जो दिसंबर में 50 फीसदी तक नीचे आ गया। इसकी वजह से संकट पैदा हो गया है। प्याज की उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) ने एक परिपत्र जारी किया है कि प्याज का व्यापार छुट्टियों के दिनों में भी होना चाहिए।सिद्दांगैया ने कहा, “थोक और खुदरा विक्रेताओं के पास बहुत ज्यादा स्टॉक नहीं बचा है। आश्चर्यजनक रूप से कर्नाटक में प्याज भंडारण सुविधाएं अच्छी नहीं हैं।” इस बीच कर्नाटक के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने जमाखोरों पर नकेल कसने के लिए छापेमारी शुरू कर दी है।