सब्सिडी छोड़ने वाले लोगों की संख्या में अार्इ गिरावट
चौंकाने वाली बात है कि सब्सिडी छोड़ने वालों में सबसे आगे पीएम मोदी का गृहराज्य गुजरात नहीं बल्कि राजधानी दिल्ली है। दिल्ली में सबसे अधिक संख्या में लोगों ने अपनी एलपीजी गैस सब्सिडी छोड़ी है। कुछ ग्राहक तो सब्सिडी छोड़ने के एक साल बाद फिर से सब्सिडी वापस लेने की मांग करने लगे हैं। यही सबसे बड़ी वजह है कि सब्सिडी छोड़ने वाले ग्राहकों की संख्या में गिरावट आर्इ है। मार्च 2018 में सब्सिडी छोड़ने वाले लोगों की संख्या 1.04 करोड़ थी जाेकि दिसंबर 2018 में घटकर 1.03 करोड़ हो गर्इ।
छोटे राज्यों में लोगाें ने अधिक संख्या में छोड़ी सब्सिडी
डेटा पर नजर डालने से पता चलता है कि छोटे राज्यों के लोगों ने अधिक संख्या में एलपीजी सब्सिडी छोड़ी है। इनमें मिजोरम, नागालैंड आैर मणिपुर जैसे राज्य शामिल हैं। जबकि कम संख्या में सब्सिडी छोड़ने वाले राज्यों की बात करें तो इनमें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु आैर महाराष्ट्र जैसे राज्या हैं।
देश के बड़े राज्यों का क्या है हाल
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक (3.37 करोड़) एलपीजी ग्राहक हैं। जिसमें से केवल 4 फीसदी लोगों ने ही सब्सिडी छोड़ी है। महाराष्ट्र आैर तमिलनाडु के में यह आंकड़ा क्रमशः 6 फीसदी व 3 फीसदी है। पश्चिम बंगाल एलपीजी कनेक्शन की संख्या के मामले में शीर्ष पांच राज्यों में है लेकिन जब सब्सिडी छोड़ने की बात करें तो राज्यों की लिस्ट में 2 फीसदी के साथ निचले स्तर पर है। सबसे कम संख्या में सब्सिडी छोड़ने वाले राज्यों में पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त आंध्र प्रदेश, उड़िसा आैर झारखंड भी हैं। कर्नाटक, पंजाब व राजस्थान में 5 फीसदी लोगों ने एलपीजी सब्सिडी छोड़ी है। जबिक केरल व तेलंगाना में 4 फीसदी लोगों ने एलपीजी सब्सिडी छोड़ी है।
सरकार की उम्मीदों पर फिरा पानी
पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ग्राहकों की संख्या बढ़ने के साथ ही केंद्रीय सरकार को उम्मीद थी कि सब्सिडी छोड़ने वाले ग्राहकों की संख्या में भी इजाफा होगा लेकिन आंकड़े कुछ अलग ही बात बयां कर रहे हैं। एक बात आैर भी ध्यान देने वाली है कि सब्सिडी छोड़ने वाले इन ग्राहकों में पाइप्ड नेचुरल गैस कनेक्शंस नहीं है। अक्टूबर 1, 2018 तक जारी आंकड़ों के मुताबिक कुल 88.5 फीसदी घरों में एक्टिव घरेलू कनेक्शंस हैं।
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