रिपोर्ट के मुताबिक देश की आर्थिक विकास दर सात फीसदी के दायरे में होने के बावजूद रोजगार में महज 3 से 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह बताती है कि इस समय रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि का संबंध पहले से कहीं ज्यादा खराब है। रोजगार सृजन का स्तर 7 प्रतिशत की विकास दर के अनुरूप नहीं है। पहले जब विकास दर 8 प्रतिशत थी तो रोजगार में वृद्धि का आंकड़ा 6 से 7 फीसदी के आसपास थी।
अर्थशास्त्री भी मान रहे हैं कि आर्थिक विकास दर के अनुपात में रोजगार सृजन नहीं हो पाया है। इसके लिए बैंकिंग तंत्र और छोटे-मझोले उद्योगों के समक्ष नकदी के संकट को एक बड़ी वजह माना जा रह है। इसके अलावा नोटबंदी और जीएसटी से कारोबार समक्ष खड़ी हुई परेशानियों से भी रोजगार को झटका लगा है। कृषि संकट और रियल एस्टेट जैसे रोजगा प्रदान करने वाले सेक्टरों में सुस्ती की भी इसमें भूमिका रही।