दिल्ली के सीएम मुफ्त में कराएंगे तीर्थ यात्रा, ये है योजना का नाम
मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना' के तहत, 60 वर्ष की उम्र से अधिक के दिल्ली के निवासी तीर्थयात्रा के लिए पात्र होंगे।

नर्इ दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक योजना को मंजूरी दी है। जिसके अंतर्गत दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक के 1,100 वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त तीर्थयात्रा कराई जाएगी। इस योजना को उप राज्यपाल अनिल बैजल की सभी आपत्तियों को दरकिनार कर मंजूरी दी गई।
इन लोगों का खर्चा वहन करेगी दिल्ली सरकार
मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना' के तहत, 60 वर्ष की उम्र से अधिक के दिल्ली के निवासी तीर्थयात्रा के लिए पात्र होंगे। उनके साथ 18 वर्ष से अधिक का एक सहायक भी होगा, जिसका व्यय सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने यहां मीडिया के समक्ष इस योजना की घोषणा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने चार जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में दिल्ली सरकार को दी गई शक्तियों का प्रयोग कर यह फैसला लिया।
आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दी जाएगी वरियता
गहलोत ने कहा, "तीर्थयात्रा करने के इच्छुक लोगों को मतदाता पहचान पत्र और क्षेत्र के विधायक से सिफारिश करानी होगी। इस योजना के लिए किसी आय मानदंड की जरूरत नहीं होगी, लेकिन पहले-आओ, पहले-पाओ के आधार पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को वरीयता दी जाएगी।" आवेदन ऑनलाइन प्राप्त किए जाएंगे और तीर्थयात्रियों का चयन ड्रॉ के माध्यम से किया जाएगा। क्षेत्र के विधायक को प्रमाणित करना होगा कि इच्छित लाभार्थी दिल्ली का है। प्रत्येक तीर्थयात्री को एक लाख रुपये का बीमा कवर मिलेगा।
तीन दिन दो रातों की होगी यात्रा
यह तीर्थयात्रा तीन दिन और दो रात की होगी जिसमें तीर्थयात्रियों को इच्छानुसार एक तीर्थस्थल पर ले जाया जाएगा। इसमें दिल्ली-मथुरा-वृंदावन-आगरा-फतेहपुर सीकरी-दिल्ली, दिल्ली-हरिद्वार-ऋषिकेश-नीलकंठ-दिल्ली, दिल्ली-अजमेर-पुष्कर-दिल्ली, दिल्ली-अमृतसर-वाघा सीमा-आनंदपुर साहिब-दिल्ली और दिल्ली-वैष्णो देवी-जम्मू-दिल्ली शामिल हैं। हर साल करीब 77 हजार वरिष्ठ नागरिक इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे। केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और स्वायत्त निकाय के कर्मचारी इस योजना के लिए पात्र नहीं होंगे।
पहले जतार्इ थी आपत्ति
दिल्ली कैबिनेट ने जनवरी में राजस्व विभाग की योजना को शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी लेकिन उप राज्यपाल कार्यालय ने आपत्ति जताते हुए इस पर रोक लगा दी थी। लेकिन अब उपराज्यपाल की आेर ये इसे हरी झंडी मिल गर्इ है। जानकारों की मानें तो दिल्ली सरकार आैर उपराज्यपाल के बीच चल रही खींचतान के बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उपराज्यपाल को भी दिल्ली सरकार की बात मानने पर मजबूर दिया है।
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