दरअसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है इसलिए अब कयास लगाए जा रहे हैं कि इससे चालू खाता घाटा (CAD) बढ़कर भारत की जीडीपी का 2.9 फीसदी तक पहुंच सकता है। वहीं दूसरी तरफ इसका असर खुदरा महंगार्इ पर देखने को मिल सकता है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में पहले से ही लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रहा है।
बैठक के बाद अरुण जेटली ने कहा कि इसके लिए हमने पांच सूत्रीय फैसला लिया है जो कि इस प्रकार है-
1. सरकार गैर-आवश्यक वस्तूआें आैर कुछ विशिष्ट वस्तुआें के होने वाले आयात को कम करेगी। इसके बारे में सरकार बाद में अंतिम फैसला लेगी।
2. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआर्इ) काॅर्पोरेट बाॅन्ड पोर्टफोलियो के 20 फीसदी के एक्सपोजर सीमा को कम कर एक काॅर्पोरेट बाॅन्ड आैर 50 फीसद काॅर्पोरेट बाॅन्ड को जारी तक सिमित किया जाएगा।
3. चालू वित्त वर्ष के दौरान मसाला बाॅन्ड पर विदहोल्डिंग टैक्स से छूट मिलेगी। मसाला बाॅन्ड की अंडरराइटिंग समेत भारतीय बैंकों पर इसको लेकर प्रतिबंध भी हटा लिया जाएगा।
4. विनिर्माण क्षेत्र के फर्म्स एक साल की मेच्योरिटी के साथ 5 करोड़ रुपए तक का लोन ले सकते हैं।
5. आधारभूत संरचना कर्ज के लिए अनिवार्य हेजिंग स्थिति 86.5 फीसदी तक पहुंच चुका है। ये 6.24 लाख करोड़ रुपये का है। 31 अगस्त को कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अप्रैल-जुलाई के लिए राजकोषीय घाटा 5.40 लाख करोड़ रुपये था।
7 सितंबर तक राजकोषिय घाटे में हुर्इ थी वृद्धि
सरकार ने उम्मीद जतार्इ है की इन फैसलों से 10 अरब डाॅलर का प्रभाव पड़ेगा आैर रुपएे में कुछ स्थिरता आएगी। जेटली ने ये भी साफ कर दिया कि सरकार आैर कदम उठाने पर विचार कर रही है आैर समय आने पर उचित कदम उठाया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार राजकोषिय घाटे को मैनेज करने के लिए आैर अपने लक्ष्याें को पूरा करने का भी प्रयास कर रही है। गौरतलब है कि इस साल सभी एशियार्इ करेंसी के मुकाबले रुपए का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तेजी के बावजूद, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आैर उभरते बाजार में व्यापक बिकवाली के बीच इस साल रुपए में 12 फीसदी की कमी आर्इ है। इस वजह से चालू खाते घाटे में वृद्धि देखने को मिली है।