कारोबार

नई सरकार में मोदी को पार करनी होंगी कड़ी चुनौतियां, GDP से लेकर अर्थव्यवस्था तक में लानी होगी तेजी

पीएम मोदी जल्द ही अपनी दूसरी पारी की शुरुआत करने वाले हैं
30 मई को नरेंद्र मोदी दूसरी बार पीएम पद की शपथ लेंगे
शपथ लेने के बाद पीएम मोदी के सामने देश के हालात को सुधारने के लिए 4 प्रमुख चुनौतियां होगी

May 27, 2019 / 11:35 am

Shivani Sharma

Pm modi

नई दिल्ली। पीएम मोदी जल्द ही अपनी दूसरी पारी की शुरुआत करने वाले हैं। 30 मई को नरेंद्र मोदी दूसरी बार पीएम पद की शपथ लेंगे। शपथ लेने के बाद पीएम मोदी के सामने देश के हालात को सुधारने के लिए 4 प्रमुख चुनौतियां होगी, जिन पर मोदी को खरा उतारना है। लोकसभा चुनावों के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में काफी सुस्ती देखी गई है, जिसमें सरकार को तेजी लानी है। इसके अलावा देश में निवेश में भी पहले की तुलना में काफी कमी आई है, जिसमें अब तेजी लाने का समय आ गया है।


मोदी सरकार को करने हैं ये चार काम

आपको बता दें कि देश में बनने वाली नई सरकार के सामने सबसे पहले चुनौती सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को लेकर होगी। इसके अलावा देश के राजकोषीय घाटे के आंकड़े, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिशेष को लेकर जालान समिति की रिपोर्ट और एनपीए के संबंध में आरबीआई का सर्कुलर ये चार कामों में मोदी सरकार को सुधार लाने की सबसे ज्यादा जरूरत है।


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जल्द जारी किए जाएंगे GDP के आंकड़ें

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि इस स्य देश गंभीर सुस्ती के दौर से गुजर रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में 6.3 फीसदी रहने की उम्मीद की जा रही है, जोकि पिछली छह तिमाहियों में सबसे कम होगी। इसका सीधा असर देश के कारोबार पर पड़ेगा। सीएसओ की ओर से बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही समेत पूरे वित्त वर्ष के जीडीपी के आंकड़े इसी सप्ताह आने वाले हैं।


लगातार GDP में आ रही गिरावट

इसके साथ ही अनुमान लगाया जा रहा है कि अर्थव्यवस्था की ये सुस्ती वित्त वर्ष 2020 में भी बनी रह सकती है और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसका अनुभव तत्काल होगा। वित्त वर्ष 2019 की दूसरी तिमाही से जीडीपी विकास दर लगातार घटती जा रही है। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर आठ फीसदी थी जो दूसरी तिमाही में घटकर सात फीसदी और तीसरी में 6.6 फीसदी पर आ गई।


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जल्द RBI जारी करेगा सर्कुलर

वित्त वर्ष 2018-19 में सरकार ने राजकोषीय घाटा 3.4 फीसदी रखने का लक्ष्य रखा था जिसे बाद में संशोधित कर 3.3 फीसदी कर दिया गया। फरवरी के अंत में राजकोषीय घाटा बढ़कर 8,51,499 करोड़ रुपए हो गया जोकि बजटीय अनुमान को पार करने के साथ-साथ जीडीपी का 4.52 फीसदी हो गया। सीजीए द्वारा वित्त वर्ष 2019 के राजकोषीय घाटे के आंकड़े अभी आने हैं। साथ ही, सरकार बनने के बाद आरबीआई ( RBI ) का संशोधित सर्कुलर आने की उम्मीद है। उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई दबाव वाली संपत्तियों के समाधान की दिशा में समायोजी दृष्टिकोण अपनाएगा।

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