scriptतीन साल में पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनाॅमी बन जाएगा भारत, कृषि का होगा अहम योगदान | PM Said, India will become a 5 trillion dollar economy in 3 year | Patrika News

तीन साल में पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनाॅमी बन जाएगा भारत, कृषि का होगा अहम योगदान

Published: Sep 21, 2018 08:48:02 am

Submitted by:

Saurabh Sharma

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था का आकार वर्ष 2022 तक 5,000 अरब डॉलर का होगा, जिसमें कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों में प्रत्येक का योगदान 1,000 अरब डॉलर का होगा।

PM Modi

तीन साल में पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनाॅमी बन जाएगा भारत, कृषि का होगा अहम योगदान

नर्इ दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था का आकार वर्ष 2022 तक 5,000 अरब डॉलर का होगा, जिसमें कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों में प्रत्येक का योगदान 1,000 अरब डॉलर का होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए विभिन्न राज्य एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। यह बात उन्होंने इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्स्पो सेंटर का शिलान्यास करने के दौरान कहीं। अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में निर्यात का हिस्सा बढ़ाकर 40 फीसदी करने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रयासरत है।

पांच ट्रिलियन डॉलर की होगी इकोनाॅमी
मोदी ने कहा, “हमने 2022 तक अपनी जीडीपी बढ़ाकर पांच ट्रिलियन डॉलर (5,000 अरब डॉलर) करने की योजना बनाई है जिसमें विनिर्माण और कृषि का योगदान एक-एक ट्रिलियन डॉलर (1,000 डॉलर) होगा।” उन्होंने कहा, “इस प्रयास में राज्य भी एकजुट हैं और इज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “हाल के वर्षो में भारत की उच्च जीडीपी विकास दर से व्यापक रोजगार सृजन हुआ है, खासतौर से आईटी, खुदरा और पर्यटन क्षेत्र में।”

बैंकों के विलय पर बोले पीएम
देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का विलय कर देश में तीसरी सबसे बड़ी बैंकिंग संस्था बनाने को लेकर मंगलवार को सरकार द्वारा किए गए प्रस्ताव के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने बैंकों का एकीकरण किया है जिसपर काफी समय से चर्चा हो रही थी। प्रधानमंत्री ने वस्तु एवं सेवा कर लागू करने जैसे सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा, “सरकार द्वारा संचालित दर्जनों बैंकों की जरूरतों पर काफी समय से चर्चा हो रही थी, लेकिन हमने इस पर अमल किया। यह सरकार राष्ट्रहित में सख्त फैसले लेने में संकोच नहीं करती है।”

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