बनता जा रहा महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था
यह टाइगर रिज़र्व पूरी तरह आत्मनिर्भर है और 2016-17 में राज्य एवं केंद्र सरकार से मिलनेवाली धनराशि से अधिक कमाई पार्क प्रवेश शुल्क से की और 19.7 करोड़ रुपये कमाए। इसके अलावा पार्क में आने वाले आगंतुक ठहरने और अन्य सेवाओं के रूप में सवाई माधोपुर की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रतिवर्ष 217.2 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचा रहे हैं जिससे यह पूरे इलाके और राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था बनता जा रहा है। आतिथ्य सत्कार सेवाओं में ही इससे 2,200 लोगों को रोजगार मिलता है।
सफल संरक्षण की शानदार कहानी
रिपोर्ट के मुख्य लेखक के तौर पर जाने-माने टाइगर इकोलॉजिस्ट डॉ. रघुचुंडावत ने कहा, “यह सफल संरक्षण की शानदार कहानी है। सभी बाघ अच्छे से हैं और पर्यटन इसकी सफलता सुनिश्चित करने में सकारात्मक लाभ साबित हुआ है। इससे पता चलता है कि पर्यटन को लेकर प्रचलित सामान्य नकारात्मक धारणा से उलट यह संरक्षण के लिहाज से एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो पार्क की सुरक्षा के लिए फंड जुटाने, रोजगार के स्थायी अवसर और जीवनयापन के नए अवसर पैदा करने और रहन-सहन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के मानकों को बेहतर बनाने के साथ वनों पर निर्भरता कम करने में मदद करता है। इसके अलावा सबसे अहम इससे बाघों को नुकसान नहीं होता है। रणथंभौर ने शानदार काम किया।’’
स्थानीय इलाकों के लिए अच्छी कमार्इ
यह रिपोर्ट दर्शाती है कि प्राकृतिक पर्यटन को संयुक्त राष्ट्र स्थायी विकास के उपकरणों में से एक माना गया है और यह अध्ययन ये भी बताता है कि इससे पैदा हुए 70 फीसदी रोजगार स्थानीय समुदाय को मिलता है या अगर आप पूरा राजस्थान राज्य को शामिल करेंतो यह आंकड़ा 90 फीसदी तक है और पर्यटन से होने वाली 55 फीसदी कमाई स्थानीय इलाके में रहती है। इसके अलावा इस उद्योग के दायरे में आने वाले परिवहन और रिटेल इकाइयों जैसे स्थानीय उपक्रम बिना पर्यटन वाली इकाइयों के मुकाबले 4 गुना अधिक कमाई करते हैं और यह दर्शाते हैं कि पुराना तर्क कि प्राकृतिक पर्यटन सिर्फ रईसों और इसके आगंतुकों के लिए लाभदायक है।
ग्रामीख क्षेत्र के लोगों के लिए व्यापक लाभ
टीओएफ टाइगर्स के चेयरमैन जुलियन मैथ्यूज़ इन जानकारियों से बेहद खुश हैं। वह कहते हैं, “यह रिपोर्ट बताती है कि प्राकृतिक पर्यटन रोजगार करने, ग्रामीण जीवनयापन के अवसर पैदा करने और सशक्त वन्य जीवन और संरक्षण उपकरण के तौर पर अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह अध्ययन ऐसे समय में सामने आया है जब सरकार समुदायों और पार्कों की सहायता के लिए नई इकोटूरिज्म पॉलिसी बनाने की संभावनाएं तलाश रही है। रणथंभौर के अधिकारीगण पूरे दिल से बधाई के हकदार हैं।” हालांकि रिपोर्ट में इलाके में लोगों और वन्य जीवन दोनों के लिए स्थायी भविश्य सुनिश्चित करने और आने वाले वर्षों में पूरे दक्षिण एशिया में ऐसे पार्कों और वन्यजीवन को सुरक्षित कर अधिक से अधिक ग्रामीण समुदायों के लिए व्यापक लाभ सुनिश्चित करने के लिए पार्क के सामने आने वाली चुनौतियों का भी संक्षेप में उल्लेख किया गया है।