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नोटबंदी के ढाई साल बाद हुआ बड़ा खुलासा, सरकार के इन बातों से सहमत नहीं था आरबीआई बोर्ड

locationनई दिल्लीPublished: Mar 11, 2019 07:30:51 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

नोटबंदी के ऐलान से ठीक तीन घंटे बाद आरबीआई बोर्ड ने कुछ बातों पर जताई थी असहमति।
बोर्ड का कहना था कि इससे नहीं लगेगा कालेधन में अंकुश।
बोर्ड ने यह भी कहा कि इससे कैशलेस अर्थव्यवस्था पर अंकुश लगाने में मिलेगी मदद।

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नोटबंदी के ढाई साल बात हुआ बड़ा खुलासा, सरकार के इन बातों से सहमत नहीं था आरबीआई बोर्ड

नई दिल्ली। अाज से करीब ढार्इ साल पहले यानी 2 नवंबर 2016 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में 500 व 1,000 रुपए के नोट को बैन कर दिया था। पीएम मोदी द्वारा यह घोषणा करते ही 500 अौर 1,000 रुपए के नोट महज कागज के टुकड़े बन कर रह गए थे। इसी ऐलान के करीब ढाई साल बाद एक अहम खुलासा हुआ है। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक के कुछ निदेशकों ने सरकार के इस फैसले से असहमति जताई थी। नोटबंदी पर लगभग हर तरह की चर्चा होने के बाद आज भी लोगों को आरबीआई के स्टैंड के बारे में नहीं पता है। हालांकि, नोटंबदी से ठीक पहले आरबीआर्इ बोर्ड की बैठक में हुए कर्इ बातें सामने आर्इ हैं।

क्या था आरबीआई निदेशकों का कहना

नोटबंदी को लेकर सरकार ने कहा था कि इससे कालेधन पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे नकली करंसी को भी पकडऩे में आसानी होगी और कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। लेकिन, नोटबंदी के ऐलान से ठीक तीन घंटे पहले यानी 5:30 बजे हुई आरबीआई बोर्ड की बैठक में अधिकतर सदस्य इस बात से असहमत रहे कि नोटबंदी से कालेधन पर अंकुश लग सकेगा। अधिकतर निदेशकों का मानना था कि कालेधन का एक बड़ा हिस्सा नकदी के रूप में नहीं बल्कि रियल एस्टेट प्रॉपर्टी व सोने के रूप में है। ऐसे में नोटबंदी जैसे कदम से इसपर कुछ खास असर नहीं पड़ेगा।


सरकार के इन बातों से सहमत था आरबीआई बोर्ड

आरबीआई के कुछ निदेशकों ने सरकार के उस बात से भी असहमति जताई थी जिसमें कहा जा रहा है कि बड़े मदों वाले नोटों का ग्रोथ आर्थिक तेजी की तुलना में अधिक है। वहीं, नकली नोटों काे लेकर कोई भी मामला चिंताजनक है। हालांकि, आरबीआई निदेशकों ने सरकार की उस बात से सहमति जताई की इससे कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। आरबीआई निदेशकों ने कहा कि इससे वित्तीय इनक्लुजन में मदद मिलेगी और डिजिटल पेमेंट को भी बढ़ावा मिलेगा।

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