बिना किसी कंसल्टेशन के लगा दिया गया राेक
हालांकि केन्द्रीय बैंक ने इस बात की जानकारी दी है कि वो 2 अलग-अलग समितियाें से जुड़ा है। सभी तरह के वर्चुअल करेंसी पर नजर बनाने के लिए वित्त मंत्रालय ने इन दो समितियों का गठन किया था। र्इटी को ब्लाॅकचेन के संस्थापक आैर वकील सेठी ने बताया है कि, रिजर्व बैंक ने स्पष्ट तौर पर बताया है कि उसने अप्रैल में वर्चुअल करेंसी पर राेक लगाने के लिए कोर्इ रिसर्च या कंस्लटेशन नहीं किया था। इसके लिए काॅनसेप्ट की पड़ताल के लिए कोर्इ समिति नहीं बनार्इ गर्इ थी।
वर्चुअल करेंसी पर रोक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
गौरतलब है कि इस साल 15 अप्रैल को रिजर्व बैंक ने एक वर्चुअल करेंसी को लेकर एक नोटिस जारी किया था। इस नोटिस के तहत सभी तरह के र्इ-वाॅलेट आैर पेमेंट गेटवे को वर्चुअल करेंसी में डील करने में रोक लगार्इ थी। आरबीआर्इ के इस नोटिस के बाद देश में वर्चुअल करेंसी एक्सचेंज में डील करने वाले सभी बिजनेस की कमर टूट गर्इ थी। इसके बाद बैंकों ने भी इस तरह के एक्सचेंजो आैर ट्रेडर्स पर वर्चुअल करेंसी में ट्रेड करने पर रोक लगा दी थी। इस तरह के एक्सचेंजों ने रिजर्व बैंक के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की है। जिस पर 20 जुलार्इ को सुनवार्इ होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि, वर्चुअल करेंसी पर बैन लगाने के लिए आरबीआर्इ ने किसी भी स्टेकहोल्डर्स से बात नहीं किया है।