उन्होंने कहा कि, “दोनों के काम से इकनॉमिक एक्टिविटी में बढ़ोतरी होती है क्योंकि वे उस काम के लिए एक-दूसरे को पेमेंट करती हैं, लेकिन इसका इकॉनमी पर कितना असर होता है, यह संदिग्ध है।” उन्होंने कहा कि, “हमें जीडीपी का हिसाब-किताब करने में सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि कभी-कभी हमें लोगों के एक एरिया से दूसरे एरिया में जाने से ग्रोथ मिलती है। ऐसे में जरूरी है कि वे जब नए एरिया में जाएं तो उससे कुछ वैल्यू एडिशन हो। अगर हम किसी काम में कुछ खोते हैं और कुछ पाते हैं, तो कुल जमा क्या होगा। ऐसे में हमें देखना होगा कि हम हिसाब5किताब कैसे करते हैं।”
रघु राम राजन ने कहा कि, “जीडीपी का हिसाब-किताब कैसे बेहतर तरीके से किया जा सकता है, इसके बारे में बहुत से सुझाव मिल रहे हैं। हमें इस बारे में गंभीरता से विचार करना होगा। कुछ ऐनालिस्ट्स ने पिछले साल अपनाए गए जीडीपी के हिसाब-किताब के तरीकों पर सवाल उठाया है। आलोचकों ने नई सीरीज के सही होने पर सवाल उठाते हुए जीडीपी डेटा और फैक्टरी आउटपुट जैसे दूसरे इंडिकेटर्स के मूड में फर्क की तरफ इशारा किया है।”
2005 की फैक्टर कॉस्ट के हिसाब से जीडीपी के हिसाब किताब के नए तरीके में पहली बार रियल टर्म के मुकाबले नॉमिनल टर्म में कम रेट से ग्रोथ होने का पता चला है। मौजूदा फिस्कल ईयर के दूसरे क्वॉर्टर में रियल जीडीपी का ग्रोथ रेट 7.4 पर्सेंट रहा जबकि नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ बहुत कम 6 पर्सेंट ही रही।
राजन ने कहा, “हमें हमारी पॉलिसी को मजबूत बनाना होगा ताकि लोगों को रोजगार ढूंढने के लिए बराबरी का मौका दिलाया जा सके। हमें बराबरी के ऐसे मौके नहीं बनाने हैं, जिसमें किसी एक तरफ झुकाव हो और जिसके चलते अंत में गलत तरह के रोजगार पैदा होने लगें।”
उन्होंने उबर जैसी टैक्सी सर्विस कंपनियों की प्रशंसा करते हुए उनके उठान को एक क्रांति की शुरुआत बताया, क्योंकि इनमें एक सर्विस के लिए कई टेक्नॉलजी को मिलाकर यूज किया गया है।