रुपए के प्रभाव को कम करन में मिलेगी मदद
यदि प्रस्तावित एनआरआर्इ बाॅन्ड जारी कर दिया जाता है तो ये इसकी चौथी किस्त् होगी। इससे एक तरफ विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होगा तो वहीं तेल की उंची कीमतों से रुपए पर होने वाले प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा। पिछने महीने रुपए में कमजोरी से इसपर दबाव बढ़ा है। इसके साथ ही पिछले कुछ समय में विदेशी निवेशकों का घरेलू बाजार में रूचि भी कम हुआ है। 02 फरवरी 2017 के बाद डाॅलर के मुकाबले रुपए अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है। हालांकि रुपए में कमजोरी से निर्योतको को फायदा हो रहा है।
कच्चे तेल के दाम से पड़ रहा अर्थव्यवस्था पर असर
अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। कच्चे तेल के ताजा दाम की बात करें तो आज WTI क्रुड आॅयल का दाम 71.17 डाॅलर प्रति बैरल के स्तर पर है। एेसे में कच्चे तेल के दाम में लगातार बढ़ोतरी से भारतीय बाजार में भी पेट्रोल- डीजल के दाम में भी बढ़ोतरी होने की आशंका हैं। हालांकि बीते 24 अप्रैल से देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में कोर्इ बदलाव नहीं हुआ। मीडिया में चल रही खबरों की बात करें तो कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर सरकार ने तेल कंपनियों को तेल के दाम में बढ़ोतरी के निर्देश दिया है। पिछले दिन (गुरूवार) अार्इआेसी के चेयरमैन संजीव सिंह ने इस बता का खंडन करते हुए कहा कि, घरेलू बाजार में लगातार बढ़ते तेल की कीमतों के वजह से तेल कंपनियों ने इसे स्थिर करके सामान्य स्तर पर लाने के लिए इसमें कोर्इ बदलाव नहीं किया है। ये महज एक संयोग है कि इस दौरान कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव चल रहे हैं।