इकोनॉमिस्ट्स की मानें तो यह रकम सरकार को वित्तीय मामलों में मदद करेगी। सरकार इसकी मदद से वित्तीय घाटे के लक्ष्य को पूरा कर सकती है और सिस्टम में लिक्विडिटी ला सकती है, ताकि ब्याज दरों को कम किया जा सके। यही नहीं इसकी मदद से सरकारी खर्चों के लिए भी फंड उपलब्ध करवाया जा सकता है। इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि केंद्रीय बैंक का यह कदम धीमी हुई इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए सरकार की मदद करने की तरफ सहयोग है।
ऎसे होती है आरबीआई की कमाई
देश के तमाम बैंकों का बैंकर होने के नाते आरबीआई के पास आय के कई स्रोत है। इसकी मुख्य कमाई तीन स्रोतों से होती है। इसमें एक सरकारी सिक्यॉरिटीज की होल्डिंग पर इसको कूपन पेमेंट्स से होने वाली आय है।
इसके अलावा आरबीआई से कर्ज लेने वाले बैंकों से केंद्रीय बैंक ब्याज वसूलता है और आरबीआई की कमाई का तीसरा साधन है कुछ अन्य स्वतंत्र बॉन्ड्स जैसे अमरीकी ट्रेजरी बिल आदि। हर साल आरबीआई अपने मुनाफे का कुछ भाग खुद रखता है, जबकि बचे हुए पैसे को सरकारी खजाने में ट्रांसफर कर दिया जाता है।