उल्लेखनीय है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल को लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं देने और फिर कर्नल सोनाराम को भाजपा में शामिल करने से जसोल समर्थक नाराज चल रहे हैं। वहीं, जिला स्तरीय नेतृत्व से भी नाराजगी चल रही है। बैठक में जसोल समर्थकों ने वर्तमान में जिले में पार्टी की स्थिति के साथ ही शिकवा-शिकायतें भी बताई। मुख्यमंत्री ने नाराज नेताओं से मिल बैठकर काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि संगठन व पार्टी के हित में कार्य करें और इसे मजबूत बनाएं।
यूं बढ़ी थी दूरियां लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की ओर से टिकट नहीं मिलने पर जसवंत सिंह जसोल ने बागी हो चुनाव लड़ा। जबकि भाजपा ने कांग्रेस से कर्नल सोनाराम चौधरी को तोड़कर भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतारा। इससे जसवंत सिंह और मुख्यमंत्री के बीच दूरियां बढ़ गई। दोनों ने ही चुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया। मुख्यमंत्री ने तो चुनाव को मूंछ का सवाल बताते हुए पूरी ताकत लगा दी। चुनाव में कर्नल सोनाराम चौधरी जीते। इसी दौरान जसवंत सिंह के पुत्र शिव विधायक मानवेन्द्रसिंह और मुख्यमंत्री के बीच भी दूरियां बढ़ गईं। बाद में जसवंतसिंह की तबीयत नासाज हो गई और वे सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। मानवेन्द्र ने भी मुख्यमंत्री से किनारा करते हुए उनके कार्यक्रमों में मंच का साझा नहीं किया।
अब सुलह की तैयारी जयपुर में बातचीत के दौरान पूर्व नगरपालिका चेयरमैन बलराम प्रजापत, तनसिंह चौहान, स्वरूपसिंह राठौड़, कैप्टन हीरसिंह भाटी, बद्री शारदा, उगमसिंह राणीगांव, ईश्वरसिंह कोटड़ा, मौलवी अब्दुल करीम, गिरधरसिंह कोटडिय़ा, रामसिंह बोथिया, खेताराम सोनी, रतनलाल बोथरा सहित साठ लोग शामिल हुए।
-मेरी तो मुख्यमंत्री से बातचीत होती रहती है। वार्ता हुई थी, जिसमें बाड़मेर से काफी कार्यकर्ताओं को बुलाया गया था। – मानवेन्द्र सिंह, शिव विधायक