निवेशकों के लिए फायदा
इसके पूर्व इन रेटिंग एजेंसियों को उन फैक्टर्स के बारे में ही जानकारी देनी होती थी जो कि कंपनियों की साख पर असर डालती है। इसी के आधार पर रेटिंग कमेटी किसी कंपनी की रेटिंग तय करती है। लेकिन अब निवेशकों को रेटिंग को पहले से बेहतर तरीके से समझने के लिए सेबी ने यह फैसला लिया है। इससे निवेशक जिस कंपनी में निवेश करना चाहते हैं, उनके बारे में सही जानकारी लेकन निवेश का फैसला कर सकते हैं। रेटिंग एजेंसियों को अपने प्रेस विज्ञप्ति में खासतौर पर ‘एनालिटिकल अप्रोच’ के तहत जानकारी देनी होगी।
पारदर्शिता बढ़ाने में मिलेगी मदद
सेबी ने इन नए नियमों पर अपने तरफ से जारी बयान में कहा है कि पारदर्शित को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों क्रेडिट रेटिंग एजेंसी को कंपनियों के पूर्व के रेटिंग व उनमें बदलाव के बारे में भी जानकारी देनी होगी। जिससे निवेशकों को यह पता चल सके की इसके पूर्व में कंपनी का प्रदर्शन कैसा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए अब इन एजेंसियों को अपने वेबसाइट पर कुल 5 पिरियड में एक साल की आैसत रेटिंग के बारे में जानकारी पब्लिश करनी होगी।