और कम हो सकता था कैपिटल खर्च वित्त वर्ष 19 में अप्रैल-अक्टूबर में राज्यों के लिए पोस्ट रिफंड वाली रसीदें 4.4 फीसदी से बढ़ीं। पूर्ण वर्ष में करों से 14.8 लाख करोड़ रुपए की बजट राशि बढ़ाने के लिए 19 फीसदी की वृद्धि की आवश्यकता है। हालांकि इस साल अप्रैल-अक्टूबर में कैपिटल खर्च 1.63 लाख करोड़ रुपए रहा, लेकिन ये वास्तव में और कम हो सकता था। वित्त वर्ष 19 के पहले सात महीनों में प्रमुख सब्सिडी पिछले साल की तुलना में 9 फीसदी अधिक थी। अक्टूबर तक वित्त वर्ष 2019 की ईंधन सब्सिडी 93 फीसदी तक जारी की गई है। इस साल अप्रैल-अक्टूबर में राजस्व घाटा वार्षिक लक्ष्य का 117.8 फीसदी यानी 4.9 लाख करोड़ रुपए था, जबकि पिछले साल की समान अवधि में राजस्व घाटा इसी लक्ष्य का 124.7 फीसदी था। कर राजस्व में कमी का कारण वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) हो सकता है।
साल के अंत में बढ़ी राजस्व रसीदें आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का कहना है कि, ‘ये राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को प्रभावित करने के लिए जरूरी नहीं हैं। साल के अंत में राजस्व रसीदें बढ़ी हैं।’ हालांकि कुछ विश्लेषकों को डर है कि वित्त वर्ष 19 में भी राजकोषीय में गिरावट आएगी। आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि, ‘वित्त वर्ष 2019 की वित्तीय स्लिपेज की सीमा जीएसटी, उत्पाद शुल्क, मुनाफे, विनिवेश, और एमएसपी, एनएचपीएस, ईंधन और अन्य सब्सिडी से प्रेरित होगी।
केवल 10,101 करोड़ रुपए रही विनिवेश रसीद हालांकि, गैर कर रसीद अप्रैल-अक्टूबर 2018 में 34 फीसदी बढ़ी और 52.1 फीसदी रही। सालाना लक्ष्य 33 फीसदी का था। इस साल अप्रैल-अक्टूबर में विनिवेश रसीद केवल 10,101 करोड़ रुपए यानी वित्त वर्ष 2019 के 80,000 करोड़ रुपए के लक्ष्य के केवल 13 फीसदी थी।