इंडस्ट्री के सेल्स में लगभग 7.2 फीसदी के ग्रोथ में के बावजूद भी इन कंपनियों की कमाई में भारी गिरावट देखने को मिला। हालांकि इस सामान्य ग्रोथ से मोटे तौर पर अर्थव्यवस्था को नोटबंदी के प्रभाव कम हुआ है। रिजर्व बैंक इस रिपोर्ट को जारी करने से पहले कंपनियों के हर साल के फाईलिंग डाटा को स्टडी करके निकाला है। इस रिपोर्ट से यह पता चलता है कि लिस्टेड कंपनियों के आधार पर अर्थव्यवस्था में कैसा परफॉर्मेेंस देखने को मिला हैं। इनमें बैंक और ब्रोकरेज जैसी फाइनेंसियल बिजनेस वाली कंपनियां शामिल नहीं हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, सालाना 2.5 करोड़ से 5 करोड़ रुपए कमाने वाली कंपनियों को साल दर साल उनके सेल्स में सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा। इसकी वजह वर्ष 2015-16 के 19.3 फीसदी के निगेटिव ग्रोथ रेट से बढक़र वर्ष 2016-17 में 53.6 फीसदी के निगेटिव ग्रोथ रेट रहा। वित्त वर्ष 2016-17 मे सेल्स मे भारी कमी के कारण यही ट्रेंड 10 अरब से ज्यादा के सालाना वाले कंपनियों में भी देखने को मिला।
सर्विसे सेक्टर की कंपनियों को सबेस ज्यादा धक्का
हालांकि, बड़ी कंपनियों के लिए ट्रेंड इसके उलट रहा। सामान अवधि के दौरान इन बड़ी कंपनियों के ट्रेंड 3.2 फीसदी से बढक़र 9.5 फीसदी रहा। इससे फुल स्पेक्ट्रम वाली कंपननियों में 7.2 फीसदी का बेहतर रहा। सेक्टर के हिसाबा से देखें तो सबसे ज्यादा धक्का सर्विस सेक्टर की कंपनियों को लगा। इसके बाद कंस्ट्रक्शन, टेलीकम्यूनिकेशन और रियल एस्टेट की कंपनियों का रहीं। अप्रैल 2016 से मार्च 2017 बीच पूरे वित्त वर्ष के दौरान, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर निगेटिव ग्रोथ को रिकवर करते हुए 4 फीसदी तक करने में कामयाब रहा। लेकिन इसी अवधि के दौरान सर्विस सेक्टर में 1.5 फीसदी का निगेटिव ग्रोथ देखने को मिला वहीं इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के ग्रोथ मे भी 2 फीसदी की कमी देखने को मिली है।
मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में बढ़ा ग्रोथ बढ़ा
आरबीआई ने कहा कि, सर्विस सेक्टर में 1.6 फीसदी की गिरावट भले ही बहुत ज्यादा नहीं दिखती हो लेकिन इस सेक्टर के मुनाफे में पिछले वर्ष के 16.9 फीसदी के मुकाबले 114.5 फीसदी की कमी आ गई है। इसी समय में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 28 फीसदी की वृद्धि हुई है। जबकि इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर की रफ्तार धीमी होकर वर्ष 2015-16 में 14.5 फीसदी के मुकाबले वर्ष 2016-17 में 8.7 फीसदी हो गई है।
सेंट्रल बैंक ने अपने प्रेस रिलीज में कहा कि, इंफॉर्मेशन सेक्टर के अलावा सर्विस सेक्टर के सेल्से मे कमी का कारण रियल एस्टेट और व्होलसेल एवं रिटेल सेक्टर के बुरे परफॉमेंस के वजह से हुई है। इंफॅार्मेशन सेक्टर के सेल्स मे वृद्धि देखा गया है।