सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन ने उद्योगों -बिजली, ऊर्वरक और चीनी- की तरफ से दाखिल याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा, “हमने आरबीआई के सर्कुलर को अवैध घोषित कर दिया है।” न्यायमूर्ति नरीमन के साथ पीठ में न्यामूर्ति विनीत सरन भी शामिल थे। अदालत के फैसले से 2.2 लाख करोड़ रुपये के बुरे ऋण पर असर होगा। न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा, “कथित सर्कुलर के तहत की गई सभी कार्रवाइयां, जिसके जरिए दिवालिया संहिता अस्तित्व में आया, भी कथित सर्कुलर के साथ रद्द हो जाएंगी।” फैसले में आगे कहा गया है, “इसके परिणामस्वरूप जिन मामलों में कर्जदारों के खिलाफ ऋणदाताओं ने दिवालिया संहिता की धारा सात के तहत कार्रवाइयां की हैं, वे सभी भी रद्द घोषित की जाती हैं।”
सरकार ने दी सफाई
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि आरबीआई अब बाजार की मौजूदा स्थिति पर निर्णय लेगा कि 12 फरवरी के सर्कुलर की अनुपस्थिति में क्या किए जाने की जरूरत है। इससे पहले वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने इस आदेश पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने इसके साथ ही वैकल्पिक ऋण समाधान तंत्र पर भी बयान देने से इनकार कर दिया।
कुछ ऐसा था आरबीआई का सर्कुलर
आज रद्द किए गए आरबीआई के सर्कुलर में कहा गया है कि दिवाला एवं दिवालिया संहिता के पूर्व के चरण में जिस समय कोई वाणिज्यिक संस्था 2,000 करोड़ या इससे अधिक के ऋण को दिवालिया बोलता है, उसी दिन बैंक उस ऋण को सुलझाने के कदम उठाएंगे, जिसमें ऋण का पुनर्गठन भी शामिल होगा। आरबीआई के 12 फरवरी के सर्कुलर के अनुसार, बैंकों को किसी दिवालिया घोषित खाते के लिए 180 दिनों के भीतर एक समाधान योजना को अंतिम रूप देना होगा, और ऐसा न हो पाने की स्थिति में दिवाला बोल चुकी संस्था के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू की जाएगी। ऊर्वरक, बिजली और चीनी की विनियमित क्षेत्र की कंपनियों ने कहा था कि उनकी कीमतें सरकार तय करती है और उन्हें समय पर भुगतान नहीं मिलता और इसलिए वे योजना के अनुरूप बैंकों को भुगतान नहीं कर सकतीं और वे विलफुल डिफाल्टर नहीं हैं और उनके साथ इस रूप में व्यवहार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा था कि आईबीसी के तहत समाधान योजना 270 दिनों की मोहलत देती है, लेकिन आरबीआई के सर्कुलर ने उसे घटाकर 180 दिन कर दिया है।