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फेक न्यूज के प्रसार से प्रभावित होगा लोकसभा चुनाव, सर्वे में आए चौकाने वाले आंकड़े

locationनई दिल्लीPublished: Apr 10, 2019 12:01:04 pm

Submitted by:

manish ranjan

FakeNews से प्रभावित होगा लोकसभा चुनाव
Facebook और WhatsApp का हो रहा धड़ल्ले से इस्तेमाल
सर्वेक्षण में सामने आए चौकानें वाले आंकड़े

कोरोना वायरस फेक न्यूज

कोरोना वायरस फेक न्यूज

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 पर फर्जी खबरों, गलत सूचनाओं के प्रभाव का पता लगाने के लिए सोशल मीडिया मैटर्स द्वारा एक सर्वेक्षण किया गया था। यह एक ऑनलाइन सर्वेक्षण था और इसने विभिन्न आँकड़ों को इंगित किया है जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि चुनाव नजदीक हैं और जनसंख्या को एक राय बनाने के लिए प्रमाणित समाचार / संसाधनों की ज़रूरत है | भारत इस साल लोक सभा चुनाव 2019 कराने के लिए तैयार है और अनुमानित 90 करोड़ मतदाता अपने उम्मीदवारों को वोट देने से पहले नकली समाचारों के प्रभाव से जूझ रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में लगभग 9.4% पहली बार मतदाताओं की वृद्धि देखी जाएगी, जो नई सरकार के गठन में निर्णायक दर्शक होंगे।

फेक न्यूज के प्रसार से प्रभावित होगा लोकसभा चुनाव

54 % सेम्पल जनसंख्या में बातचीत करने वाले वर्ग की आयु 18-25 वर्ष है। यह सर्वे 56% पुरुषों, 43% महिलाओं और 1% ट्रांसजेंडरों द्वारा भरा गया है | #DontBeAFool फेक न्यूज पर भारत का पहला सर्वेक्षण है, जो यह समझने के लिए किया गया है कि क्या राय बनाने में फेक न्यूज़ का प्रभाव है या नहीं। इस सर्वे का मकसद मतदाता के पक्ष को समझने का है और ये जानने का कि वे चुनावों के दौरान गलतसूचना से प्रभावित होते हैं या नहीं। सर्वेक्षण में सामने आए सबसे आंकड़ों में से सबसे गंभीर यह है कि 62% सैम्पल का मानना है कि लोक सभा चुनाव 2019 फेक न्यूज़ के प्रसार से प्रभावित होगा। इस सर्वेक्षण की खोज देश भर के 628 मतदाताओं के नमूने के आकार पर आधारित है, जिन्होंने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से फेक न्यूज की पहचान करने के अपने विचार और व्यक्तिगत अनुभव व्यक्त किएहैं।
Facebook और WhatsApp का सबसे ज्यादा इस्तेमाल

सर्वेक्षण बताता है कि 53% सैम्पल को विभिन्न चैनलों पर नकली समाचार / गलत जानकारी मिली थी। फेसबुक और व्हाट्सएप गलत सूचना के प्रसार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख मंच हैं। सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि 96% सैम्पल जनसंख्या को व्हाट्सएप के माध्यम से नकली समाचार प्राप्त हुए हैं। 48% जनसंख्या इस बात से सहमत हुई कि उन्हें पिछले 30 दिनों में किसी न किसी माध्यम से फेक न्यूज प्राप्त प्राप्त हुई थी । नागरिकों को इस बात की कम जानकारी है किसी समाचार आइटम को प्रमाणित करना है लेकिन हमारे सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि 41% लोगों ने फेक न्यूज की पहचान करने के लिए Google, फेसबुक और ट्विटर की मदद ली । एक सकारात्मक आकड़े के तहत आबादी के 54% लोगों ने यह जताया है कि वे कभी भी फेक न्यूज से प्रभावित नहीं हुए हैं। दूसरी ओर 43% ऐसे लोग हैं जिनके जानकार फेक न्यूज से गुमराह हुए हैं।

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