scriptPCA फ्रेमवर्क को लेकर सरकार व आरबीअार्इ के बीच ये है कलह की सबसे बड़ी वजह | This is the reason for spat between RBI and government over PCA | Patrika News

PCA फ्रेमवर्क को लेकर सरकार व आरबीअार्इ के बीच ये है कलह की सबसे बड़ी वजह

locationनई दिल्लीPublished: Nov 26, 2018 03:12:08 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक, जो बैंकों पर प्राॅम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के तहत किसी भी मापदंड पर खरा नहीं उतरती हैं तो उन्हें विलय के लिए तैयार रहना होगा।

Reserve Bank of India

PCA फ्रेमवर्क को लेकर सरकार व आरबीअार्इ के बीच ये है कलह की सबसे बड़ी वजह

नर्इ दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक, जो बैंकों पर प्राॅम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के तहत किसी भी मापदंड पर खरा नहीं उतरती हैं तो उन्हें विलय के लिए तैयार रहना होगा। ब्रोकरेज फर्म जेफरीज इंडिया प्राइवेट इंडिया लिमिटेड के विश्लेषकों ने चार एेसे बैंकों को चिन्हित किया है जो इन मापदंडो पर खरा नहीं उतर सके हैं। इस ब्रोकरेज फर्म ने सितंबर तिमाही में जारी आंकड़ों के आधार पर इन्हें चिन्हित किया है।


इन बैंकों को किया है चिन्हित

कुल फंसे कर्ज के मामले में सबसे कमजोर उधारकर्ता यानी आर्इडीबीआर्इ बैंक ने तीसरे थ्रेशहोल्ड को उल्लंघन किया है। फंसे कर्ज के साथ-साथ यह बैंक पूंजी पर्याप्तता अनुपात, काॅमन इक्विटी टियर-1 अनुपात की परेशानियों का सामना कर रही है। इंडियन आेवरसीज बैंक ने तीन मापदंडो पर थर्ड थ्रेशहोल्ड का उल्लंघन किया है। जबकि बैंक आॅफ इंडिया व यूनाइटेड बैंक आॅफ इंडिया ने एक-एक मापदंड पर इसका उल्लंघन किया है।


पीसीए को लेकर आरबीआर्इ के फैसले पर निर्भर करता है बैंकों का भविष्य

सितंकर तिमाही के नतीजों से यह भी पता चला है कि छह बैंक जो कि मौजूदा समय में पीसीए के तहत नहीं है, उन्हें पीसीए के अंतर्गत लाना चाहिए। दरअसल, आरबीआर्इ किसी भी बैंक की वार्षिक परफाॅर्मेंस के आधार पर यह तय करती है कि उस बैंक को पीसीए के अंतर्गत लाया जाएगा या नहीं। इससे एक बात आैर साफ हो जाती है कि जब आरबीआर्इ की तरफ से पीसीए नाॅर्म्स को सरल नहीं बनाया जाता, तब कर्इ सरकारी बैंक भी पीसीए की चपेट में आ सकते हैं।


आगामी तिमाहियों में बैंकों को हो सकता है घाटा

एेसे में यह भी साफ हो जाता है कि आखिर क्यों सरकार लगातार आरबीआर्इ पर पीसीए फ्रेमवर्क को एक बार रिवाइज करने को बोल रही है। केंद्रीय बैंक ने अंतिम बोर्ड बैठक में इस बात पर सहमति जतार्इ थी कि एक कमेटी इन नार्म्स पर विचार करेगी आैर बोर्ड को किसी भी बदलाव के लिए सुझाव देगी। अब चाहे जो भी फैसला लिया जाए, इन बैंकों के लिए आगामी तिमाहियों में मुनाफा दूर की कौड़ी लग रही है। विश्लेषकों का भी कहना है इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आर्इएलएंडएफएस) संकट की वजह से आगामी दो तिमाहियों में इसमें आैर बढ़ोतरी हो सकती है। चूंकि, अधिकतर बैंक पूंजी जरूरतों की सबसे न्यूनतम स्तर हैं, एेसे में थोड़ी सी परेशानी भी इन्हें पीसीए के अंतर्गत धकेल सकती है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो