scriptभारत में संभव नहीं है कैशलेस अर्थव्यवस्था, ये है सबसे बड़ी वजह | this is why Modi dream of cashless economy is not possible | Patrika News

भारत में संभव नहीं है कैशलेस अर्थव्यवस्था, ये है सबसे बड़ी वजह

locationनई दिल्लीPublished: Nov 16, 2018 03:33:29 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

भारत में दो साल पहले हुए नोटबंदी के पूर्व में 95 फीसदी लेनदेन कैश में ही होते थे। नोटबंदी के ठीक बाद लोगों ने डेबिट/क्रेडिट कार्ड, मोबाइल वाॅलेट नेट बैंकिंग के जरिए लेनदेन करना शुरू किया। लेकिन यह 18 महीनों तक ही अपने चरम पर रहा।

Cashless economy

भारत में संभव नहीं है कैशलेस अर्थव्यवस्था, ये है सबसे बड़ी वजह

नर्इ दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवार्इ वाली एनडीए सरकार 8 नवंबर 2016 को किए गए नोटबंदी के बाद से ही कैशलेस अर्थव्यवस्था पर अधिक जोर दे रही है। सरकार ये कोशिश दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को फाॅर्मलाइज करने के उद्देश्य से कर रही है। लेकिन साथ ही विशेषज्ञों से लेकर आम लोग तक मानना है कि भारत में कैशलेस अर्थव्यवस्था मुमकिन नहीं है। गुरुवार को कर्इ आर्थिकविदों ने दिल्ली में एक बैठक के दौरान कहा कि कैशलेस अर्थव्यवस्था का सपना पूरा नहीं हो सकता है।


नोटबंदी से पहले 95 फीसदी लेनदेन नकदी में होते थे

इस ममाले से जु़ड़े एक जानकार का कहना है कि डिजिटलीकरण ग्राहकों के लिए एक नया अनुभव होगा। लेकिन यह नकदी की जरूरत को पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकता। जिनके पास कम पैसा होता है वो डिजिटल प्लेटफाॅर्म के साथ नकदी का भी इस्तेमाल करेंगें। उनके लिए इन दोनों तरह के लेनदेन का अपना अलग महत्व है। नीति निर्माताआें को इस बात का ध्यान रखना होगा कि दुनियाभर की आधी आबादी अभी भी नकदी पर ही निर्भर है। भारत में दो साल पहले हुए नोटबंदी के पूर्व में 95 फीसदी लेनदेन कैश में ही होते थे। नोटबंदी के ठीक बाद लोगों ने डेबिट/क्रेडिट कार्ड, मोबाइल वाॅलेट नेट बैंकिंग के जरिए लेनदेन करना शुरू किया। लेकिन यह 18 महीनों तक ही अपने चरम पर रहा।


कैश-टू-जीडीपी अनुपात में बदलाव

गत मर्इ माह में ही नोमूरा ग्लोबल रिसर्च ने अपनी डिजिटल पेमेंट पर एक रिपोर्ट में कहा था कि कैश-टू-जीडीपी अनुपात नोटबंदी से पहले के स्तर पर ही पहुंच गया है। 27 अप्रैल 2018 तक यह अनुपात 11.3 फीसदी था। नोमूरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी से पहले यह आंकड़ा 11.5-12 फीसदी के स्तर पर था। भारत में कैश-टू-जीडीपी अनुपात कम ही होता है। भारत ही नहीं बल्कि रूस व सिंगापुर में यह अनुपात क्रमशः 8.8 अौर 9.3 फीसदी है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो