मुंबई में हाल बेहाल ट्रक आैर बस आॅपरेटर्स के संगठन अाॅल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) के आह्वान पर बुलाई गई ट्रक-बसों की हड़ताल से सबसे ज्यादा देश की आर्थिक राजधानी मुंबई प्रभावित हो रही है। हड़ताल के दूसरे दिन भी बसें नहीं चलने से स्कूली बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सुबह के समय अधिकांश बच्चे अपने माता-पिता के साथ स्कूल जाते दिखे। हड़ताल के कारण सड़कों पर ट्रकों-बसों की कतारें लगी हुई हैं। इसके अलावा व्यापारियों को भी माल लाने-भेजने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आपको बता दें कि इस हड़ताल में करीब 90 लाख ट्रक ऑपरेटर और 50 लाख प्राइवेट बस ऑपरेटर शामिल हैं।
एसोचैम ने दी चेतावनी उद्योगों से जुड़े संगठन एसोचैम ने ट्रक-बसों की हड़ताल को लेकर चेतावनी दी है। एसोचैम ने कहा है कि अगर इस हड़ताल को जल्द से जल्द खत्म नहीं किया गया तो इससे देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा। एसोचैम ने आशंका जताई है कि इस हड़ताल से थोक सेल प्राइस इंडेक्स और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स बुरी तरह से प्रभावित होगा और जरूरी चीजों के दाम बढ़ जाएंगे। एसोचैम का अनुमान है कि इस हड़ताल की वजह से इकोनॉमी को 20 से 25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। एसोचैम ने सरकार से जल्द से जल्द इस हड़ताल को खत्म कराने की अपील की है।
ये हैं ट्रक-बस ऑपरेटरों की प्रमुख मांगें – डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इसके अलावा सभी राज्यों में डीजल की दरें एक समान की जाएं। – टोल कलेक्शन सिस्टम को बदला जाए। टोल के मौजूद सिस्टम से टोल प्लाजा पर ईंधन और समय का नुकसान होता है। इससे ट्रक ऑपरेटरों को हर साल 1.5 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होता है।
– थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम से जीएसटी को हटाया जाए। साथ ही इससे एजेंट को मिलने वाले अतिरिक्त कमीशन को भी खत्म किया जाए। – इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44AE में प्रिजेंप्टिव इनकम के तहत लगने वाले टीडीएस को बंद किया जाए।
– ट्रक ऑपरेटरों को राहत देने के लिए ई-वे बिल में बदलाव किया जाए।