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इस देश में सोने से लेकर कच्चे तेल तक की है भरमार, फिर भी 1 करोड़ गुना बढ़ी महंगार्इ, लोगों के पास खाने तक के नहीं है पैसे

locationनई दिल्लीPublished: Feb 05, 2019 05:15:28 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

राजनीतिक उठापटक के बीच वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आर्इएमएफ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2013 से 2017 के बीच वेनेजुएल की अर्थव्यवस्थ करीब एक तिहार्इ सिकुड़ चुकी है।

Venezuela

इस देश में सोने से लेकर कच्चे तेल तक की है भरमार, फिर भी 1 करोड़ गुना बढ़ी महंगार्इ, लोगों के पास खाने तक के नहीं है पैसे

नर्इ दिल्ली। दुनिया में एेसी कोर्इ देश नहीं है जो अपने अर्थव्यवस्था के आगे ‘भयानक’ शब्द का इस्तेमाल होते हुए देखना चाहेगा। दक्षिण अमरीकी देश वेनेजुएला की बात करें तो वहां के मौजूदा हालात को देखकर लगता है यह शब्द भी वहां की अर्थव्यवस्था के लिए पर्याप्त नहीं है। राजनीतिक उठापटक के बीच वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आर्इएमएफ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2013 से 2017 के बीच वेनेजुएल की अर्थव्यवस्थ करीब एक तिहार्इ सिकुड़ चुकी है। बीते एक साल में ही यह अर्थव्यस्था 18 फीसदी तक सिकुड़ी है। आर्इएमएफ ने कहा है कि इस साल के अंत तक यहां की महंगार्इ दर करीब 1 करोड़ गुना बढ़ जाएगी।


लोगों को खाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा

आप इस देश की अर्थव्यवस्था की मौजदूा हालात का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि 2015 के बाद से करीब 30 लाख देश छोड़कर भाग चुके हैं। वेनेजुएला में पब्लिक हेल्थ सिस्टम बुरी तरह से बर्बाद हो चुका है। जटिल बीमारियों की दवाआें से लेकर बिजली पानी तक के लिए आम लोगों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। खाने के लिए न तो पैसे हैं आैर नहीं कोर्इ अन्य संशाधन। बताते चलें कि वेनेजुएला में दुनिया का सबसे बड़ा अाॅयल रिजर्व है। कहा जाता है कि इस देश में की 98 फीसदी विदेशी कमार्इ आॅयल फील्ड्स से ही होती है। लेकिन अधिकतर देशों की तरह वेनेजुएला इसका फायदा अपनी अर्थव्यवस्था को देने में पूरी तरह से नाकाम रहा है।


अमरीका ने लगाया प्रतिबंध

जब निकोलस मदुरो ने अपना कार्यभार संभाला था, उस दौरान ही वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था अपने बुरे दौर से गुजर रही थी। उस वक्त मदुरो के पास दो विकल्प थे। पहला यह कि पब्लिक वेलफेयर स्कीम के तहत लोगों की मदद करें जबकि उनके पास दूसरा विकल्प रोजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने का था। उन्होंने लोगों के लिए वेलफेयर स्कीम के विकल्प को चुना। बढ़ती महंगार्इ की वजह से देश में अस्थिरता पैदा हुर्इ जिसके बाद अमरीकी प्रशासन द्वारा कर्इ तरह के प्रतिबंध तक लगाना पड़ा।


कच्चे तेल की कीमतोें में भारी गिरावट से भी परेशान

यूएन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हाइपरइन्फ्लेशन के बाद वेनेजुएला में शीशु मृत्यु दर तेजी से बढ़ रहा है। वहां के लोगों की हालत इतनी बुरी है कि उन्हे बेसिक सैलरी भी केवल 10 डाॅलर तक मिल रही है। वहां की सरकार की तीजोरी में अब लोगों की मदद के लिए पैसा नहीं है। कच्चे तेल की कीमत 112 डाॅलर प्रति बैरल से गिरकर 60 डाॅलर प्रति बैरल तक आ गर्इ है। अमरीकी प्रतिबंध के बाद अब मुदरो सरकार के पास बहुत कम मौके हैं कि वो कच्चे तेल के मुनाफे से अपनी अर्थव्यस्था को रफ्तार दे सके। कर्इ जानकारों का मानना है कि वेनेजुएला की इस बुरी आर्थिक स्थिति के पीछे वहां पर भ्रष्टाचार आैर बड़े घटिया आर्थिक प्रबंधन जिम्मेदार है।


दुनिया का चौथे बड़े सोने के खाद्यान का मालिक है वेनेजुएला

केवल कच्चा तेल ही नहीं बल्कि वेनेजुएला में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा साेने का खाद्यान है। पिछले सप्ताह ही एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां की सरकार 20 टन सोना देश से बाहर निर्यात करने के बारे में सोच रही है। बैंक आॅफ इंग्लैंड ने मदुरो सरकार पर 1.2 अरब डाॅलर की कीमत के सोने को खर्च करने पर रोक लगा दिया है। केवल वेनेजुएला ही नहीं बल्कि दुनिया के कर्इ एेसे देश हैं जहां हाइपरइन्फ्लेशन का दौर देखने को मिला है। इस लिस्ट में चीन, जिम्बाब्वे आैर यूक्रेन जैसे देशों का नाम है। हालिया दौर में, वेनेजुएलन अर्थव्यवस्था की हालत सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।

Hyper Inflation In Venezuela

इन देशों की भी है बुरी हालत

बीते एक सदी में हाइपरइन्फ्लेशन वाले देशों की बात करें तो इस लिस्ट हंग्री सबसे टाॅप पर है। जुलार्इ 1946 में हंग्री में 15 घंटों के लिए हाइपरइन्फ्लेशन रहा था। नवंबर 2008 में, जिम्बाब्वे में भी हाइपरइन्फ्लेशन का दौर देखने को मिला था। हालांकि, हंग्री की तुलना में जिम्बाब्वे बहुत बेहतर स्थिति में था। हंग्री में प्रतिदिन के हिसाब से महंगार्इ दर 207 फीसदी रहा जबकि जिम्बाब्वे में 98 फीसदी रहा था। हाइपरइन्फ्लेशन के इतिहास में वेनेजुएला 23वें नंबर पर है। इस लिस्ट में अन्य देशों की बात करें तो यूगोस्लाविया, रिपब्लिका, जर्मनी, ग्रीस, चीन, आर्मेनिया, तुर्कमेनिस्तान, ताइवान, पेरू आैर रूस जैसे देश शामिल हैं।
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