scriptआखिर क्यों 10 लाख फीसदी तक पहुंचने वाली है वेनेजुएला की महंगार्इ? | Venezuela inflation to reach upto 10 lakh percent says IMF | Patrika News

आखिर क्यों 10 लाख फीसदी तक पहुंचने वाली है वेनेजुएला की महंगार्इ?

locationनई दिल्लीPublished: Jul 25, 2018 06:06:55 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

आज आलम ये है कि एक जूता मरम्मत कराने के लिए लोगों को 20 अरब बोलिवर (करीब 4 लाख रुपये) तक खर्च करने पड़ रहे हैं।

Venezueal economic crisis

आखिर क्यों 10 लाख फीसदी तक पहुंचने वाली है वेनेजुएला की महंगार्इ?

नर्इ दिल्ली। दुनियाभर के कर्इ देश के लोगों का बढ़ती महंगार्इ से बुरा हाल है। एेसे में यदि आप भारत की बढ़ती महंगार्इ से परेशान हैं तो आपको बता दें कि दक्षिण अमरीका में एक एेसा भी देश है जहां की मुद्रास्फिति बहुत जल्द ही 10 लाख फीसदी को पार करने वाली है। ये दावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आर्इएमएफ) ने हाल ही में अपने एक रिपोर्ट में किया है। दक्षिण अमरीका का ये देश वेनेजुएला कभी दुनियभर के अमीर देशों में शुमार था लेकिन आज आलम ये है कि एक जूता मरम्मत कराने के लिए लोगों को 20 अरब बोलिवर (करीब 4 लाख रुपये) तक खर्च करने पड़ रहे हैं। एेसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर क्यों वेनेजुएला की मंहगार्इ आसमान छू रही है? आखिर क्यों ये देश हाइपर इन्फ्लेशन के दौर से गुजर रहा है?

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वेनेजुएला का 96 फीसदी राजस्व कच्चे तेल से मिलता है
वेनेजुएला एक एेसा देश है जहां बड़े मात्रा में कच्चा तेल पाया जाता है। यहां दुनिया का सबसे बड़ा आॅयल रिजर्व है। लेकिन वेनेजुएला से होने वाली कमार्इ ही आज इस देश के आर्थिक संकट का सबसे बड़ा कारण है। इस देश का करीब 96 फीसदी राज्स्व तेल के आयात से होता है। इसका सीधा मतलब ये है कि जब कच्चे तेल का दाम अपने उच्चतम स्तर पर था तो इस देश में पैसों की कोर्इ कमी नहीं थी। लेकिन साल 2014 से जब कच्चे तेल के दाम में गिरावट का दौर शुरू हुआ तो यहां की अर्थव्यवस्था को बड़ा धक्का लगा।

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क्या कच्चे तेल पर निर्भरता ही वेनेजुएला की अार्थिक संकट के लिए जिम्मेदार है?
अगर आपके मन में भी ये सवाल है तो हम आपको बता दें कि एेसा नहीं है। यहां के पूर्व राष्ट्रपति ह्यूगो चावेज की कर्इ नीतियां भी इसके लिए जिम्मेदार है। ह्यूगो जब साल 1999 से साल 2013 तक वेनेजुएला के राष्ट्रपति थे तो उन्होंने देश की कुल कमार्इ का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक कार्यों आैर गरीबी दूर करने में लगा दिया था। आम आैर गरीब लोगों को सुविधाएं देने के लिए उनकी सरकार ने प्राइस कंट्रोल कैपिंग की शुरुआत की थी। इसका असर ये हुआ कि कर्इ कंपनियों का प्राॅफिट मार्जिन कम हो गया आैर वो यहां अपने कारोबार को बंद करने लगीं। इन सब कारणों से वेनेजुएला को विदेशी करेंसी में सामान आयात करने में भी कमी आने लगीं। साल 2013 में चावेज ने विदेशी करेंसी को कंट्रोल करने के प्रयास भी किए। लेकिन वेनेजुएलन सरकार को इसमें कुछ खास सफलता हाथ नहीं लगी। इसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव ये पड़ा की वेनेजुएला में कालाबाजारी आैर मुद्रास्फिति, दोनों बेतहाशा रफ्तार से बढ़ने लगी।

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आखिर क्यों इतनी तेजी से बढ़ रही है मुद्रास्फिति?
मौजूदा समय में वेनेजुएला की मुद्रास्फिति दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक है। हैरान करने वाली बात ये है कि आर्इएमएफ के रिपोर्ट के मुताबिक निकट भविष्य में इसके कम होने की उम्मीद भी नहीं दिखार्इ दे रही है। यहां के सेंट्रल बैंक ने साल 2015 से मुद्रास्फिति रिपोर्ट जारी ही नहीं किया है। लेकिन यहां के अर्थशास्त्री स्टीव हांके आैर जाॅन हाॅपकिन्स यूनिवर्सिटी ने जब इसकी गणना की तो पाया की इस साल अप्रैल तक वेनेजुएला की मुद्रास्फिति में 18,000 फीसदी का इजाफा हुआ है। निकोलस मदूरो की अगुवार्इ वाली वेनेजुएलन सरकार लोगों को न्यूनतम वेतन देने आैर अपने बजट को पूरा करने के लिए धड़ल्ले से नोटों की छपार्इ कर रही है। वहीं कुछ सरकारी बाॅन्ड डिफाॅल्ट होने के चलते यहां की सरकार को क्रेडिट लेने में भी दिक्कतें आ रहीं हैं।

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तो आखिर क्यों मदूरो वेनेजुएला के दोबारा राष्ट्रपति बनें?
साल 2013 में कैंसर से मरने वाले ह्यूगो ने निकोलस को राष्ट्रपति बनाया था। ह्यूगो की मृत्यु के बाद निकोलस ने बेहद ही कम अंतर से अपने विपक्ष को हराया था। बेहद कम मार्जिन से जीतने के बाद भी निकोलस लोगों के बची काफी लोकप्रिय रहे। आज भी वेनेजुएला का एक बड़े तबका का मानना है कि ये आर्थिक संकट निकोलस की नीतियों के चलते नहीं बल्कि अमरीकी सम्राज्यवादी ताकतों के चलते आया है। इनमें से अधिकतर आबादी वो है जो सरकारी सुविधाआें का लाभ उठाती है। वहीं कुछ सरकारी अधिकारियाें का मानना है उन्हें जबरदस्ती निकोलस मदूरो के पक्ष में वोट कराया गया है। चुनाव के दौरान यहां की सभी विपक्षी दलों ने बाॅयकाॅट करने का फैसला तो लिया लेकिन एक उम्मीदवार हेनरी फाॅल्कन ने चुनाव लड़ा। हालांकि बाद में उन्हें देशद्रोह करार दे दिया गया।

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क्या वेनेजुएला के लिए सभी उम्मीदें खत्म हैं?
पिछले कुछ समय से कच्चे तेल के दाम में तेजी देखने को मिल रही है। एेसे में सरकार के खजाने में बढ़ोतरी होने की तो उम्मीद हैं। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर में हो रहे निवेश की कमी से सरकारी तेल कंपनियों को इतनी जल्दी राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। वहीं दूसरी आेर देखें तो करीब लाखों लोग देश छोड़कर जा चुके हैं। भ्रष्टाचार आैर प्राइवेट कंपनियों के तरफ सरकार का रवैया देखते हुए इस बात की उम्मीद नहीं की जा सकती की यहां विदेशी निवेशकों अपने व्यापार का को बढ़ाने में रूचि लेंगे। ब्राजील, कनाडा, चीली आैर पनामा जैसे कुछ देश पहले ही कह चुक हैं कि वो नर्इ सरकार का साथ नहीं देंगे। लेकिन इस बीच अमरीका द्वारा वेनेजुएला की तेल इंडस्ट्री पर अमरीकी सैंक्शन से राहत मिल सकती है।

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