वित्त मंत्रालय के आंकडों के मुताबिक, सरकारी बैंकों का विलफुल डिफॉल्टर्स पर कुल बकाया लोन वित्त वर्ष 2016-17 के अंत तक 20.4 फीसदी बढक़र 92,376 करोड़ रुपए हो गया। 2015-16 के अंत तक यह लोन 76,685 करोड़ रुपए था। इस बीच सालाना आधार पर विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या में भी लगभग 10 फीसदी की वृद्धि हुई। मार्च 2017 की समाप्ति के वक्त विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या बढक़र 8,915 हो गई, जो इससे पहले के वित्त वर्ष में 8,167 थी। 5 साल में सबसे ज्यादा लोन एसबीआई का ही डूबा है।
5 सालों में सबसे ज्यादा डूबी रकम बैंकों ने विलफुल डिफॉल्ट्स के 8,915 मामलों में से 1,914 मामलों में एफआईआर की गई। जिनमें कुल बकाया 32,484 करोड़ रुपए था। 2016-17 के दौरान 5 सहयोगी बैंकों समेत 27 सरकारी बैंकों ने 81,683 करोड़ रुपए को राइट ऑफ घोषित कर दिया। यह आंकड़ा पिछले 5 वित्त वर्षों का सर्वाधिक था। साथ ही यह राशि