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बिना पूंजीकरण के सरकारी बैंकों की साख दबाव में : फिच

Published: Feb 19, 2016 11:23:00 pm

फिच ने कहा कि तनावग्रस्त ऋण के पुनवर्गीकरण पर भारतीय रिजर्व बैंक
(आरबीआई) के आदेश के बाद अधिक प्रोविजनिंग करने के कारण बैंकों ने यह घाटा
दिखाया है

Fitch

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मुंबई। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के तीसरी तिमाही में खराब प्रदर्शन के बाद फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को कहा कि बिना समुचित पूंजीकरण के उनकी साख दबाव में है। एजेंसी ने अपने एक शोध नोट में कहा, पर्याप्त पूंजीकरण बहाल करने के लिए सार्थक प्रयास किए बिना कई भारतीय सरकारी बैंकों की साख दबाव में है। पिछले दिनों कई सरकारी बैंकों ने अपने तिमाही परिणाम में घाटा दिखाया है।

फिच ने कहा कि तनावग्रस्त ऋण के पुनवर्गीकरण पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आदेश के बाद अधिक प्रोविजनिंग करने के कारण बैंकों ने यह घाटा दिखाया है। आरबीआई मार्च 2017 तक बैंकों का खाता दुरुस्त करना चाहता है और इसके लिए उसने सरकारी और निजी बैंकों को तनावग्रस्त ऋण की पहचान करने और मौजूदा कारोबारी साल की अंतिम दो तिमाहियों में प्रोविजनिंग बढ़ाने के लिए कहा है।

फिच के मुताबिक इस प्रयास से इन बैंकों में निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। बैंक पिछले करीब एक साल से अपना लाभ कम दिखा रहे हैं और प्रोविजनिंग बढ़ा रहे हैं। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के बैंकिंग सेक्टर में पिछले करीब एक साल में करीब 30 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। वित्त मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक, बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का अनुपात मार्च 2013 के 3.42 फीसदी से बढ़कर मार्च 2015 तक 4.62 फीसदी हो गया है।

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