चीनी नेता ने किया इस गांव का कायापलट
दुनिया का ये सबसे दौलतमंद गांव दक्षिण चीन में है आैर इसका नाम शेनजेन है। लेकिन एेसा नहीं है कि ये गांव बहुत पहले से इतना दौलतमंद था। करीब 40 साल पहले ये गांव मछुआरों का था जहां से लोग नदी को पार करते हुए अपनी जान जोखिम में डालकर नौकरी की तलाश में दूसरी जगह जाते थे। लेकिन साल 1980 में चीनी नेता श्याआेपिंग ने शेनजेन में चीन का सबसे पहला स्पेशन इकोनाॅमिक जोन की स्थापना की जिसके बाद शेनजेन का तो जैसे कायापलट ही हो गया। आज भी शेनजेन के एक संग्राहलय में लोगों को उस दौर की कुछ तस्वीरें मिलती हैं जब यहां चारो तरफ खाली जमीन आैर फैक्ट्रियों में लोग काम करते हुए दिखार्इ पड़ते हैं।
शेनजेन को चीन की सिलिकाॅन वैली भी कहा जाता है
आज कर्इ लोग शेनजेन गांव को ‘चीन की सिलिकाॅन वैली’ तो कर्इ लोग इसे ‘दुनिया का हार्डवेयर केन्द्र’ कहते हैं। शेनजेन को आज दुनिया का सबसे युवा शहर भी कहते हैं जहां इनोवेशन, टेक्नाेलाॅजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्टार्ट अप्स आैर बायोटेक के कर्इ केन्द्र बन गए हैं। एक अांकड़ें के मुताबिक शेनजेन के पास इतनी दौलत है जितनी हाॅन्गकाॅन्ग आैर सिंगापुर की अर्थव्यवस्था है। आज यहां का पोर्ट दुनियाभर के सबसे व्यस्त पोर्ट में से एक है। आज के दौर के हिसाब से यहां की एक सबसे खास बता ये भी है कि यहां की हवा की क्वाॅलिटी, चौड़ी सड़कों पर भागती इलेक्ट्रिक बसें आैर कारें दुनियाभर में सबसे बेेहतर है। आज यहां टेनसेंट, जेडटीर्इ आैर वाॅवे जैसी दुनिया की कर्इ बड़ी कंपनियां अपना कार्यालय खाले चुकी हैं। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल ही वाॅवे ने अपने शोध पर 14 अरब डाॅलर खर्च किया है।
256 अरब डाॅलर की है अर्थव्यवस्था
शेनजेन में आज 12 साल के बच्चों को भी सांइस, इंजिनियरिंग, कंप्यूटर साइंस् आैर रोबोटिक्स की शिक्षा दी जाती है। लेकिन यहां पढ़ार्इ के लिए अमीरों के ही बच्चे हैं क्योंकि यहां हर घंटे की पढ़ार्इ के लिए कर्इ हजार खर्च करने होते हैं। यहां का बाजाराें में आपको मोबाइल, ड्रोन, चिप्स, कंपोनेंट जैसी हर चीज आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1979 में शेनजेन की अर्थव्यवस्था करीब 30 मिलियन डाॅलर थी जो कि आज बढ़कर 256 अरब डाॅलर तक पहुंच गर्इ है।