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अब प्रशिक्षण पर जोर
एग्जिट एग्जाम का प्रस्ताव निरस्त होने के बाद AICTE अब भावी अभियंताओं के व्यावहारिक ज्ञान को मजबूत करने की तैयारी में जुटी है। इसके लिए परिषद प्रोफेशनल इंजीनियर्स बिल लाने की कोशिश कर रही है। फील्ड वर्क में महारथ और काबिलियत को विकसित करने के लिए परिषद किताबी पढ़ाई के साथ छात्रों को दो हजार घंटे औद्योगिक संस्थानों में काम करने की अनिवार्यता लागू करने में जुटी है। इस प्रस्ताव की बड़ी खासियत यह है कि काम करने के बाद AICTE छात्रों का बतौर अभियंता प्रमाणन भी करेगा। छात्रों को इसका अलग से प्रमाण पत्र दिया जाएगा। जो उनके प्लेसमेंट में मील का पत्थर साबित होगा, इसी से उनके कॅरियर की शुरुआत भी होगी।
बस 70 फीसदी छात्र ही हो पा रहे पास
देश के करीब 3 हजार टेक्निकल इंस्टीट्यूट हर साल करीब सात लाख इंजीनियर तैयार करते हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 20 से 30 प्रतिशत को ही नौकरी मिल पाती है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) और तकनीकी शिक्षा से जुड़ी उच्च स्तरीय समितियों ने जब इसकी वजह जानने के लिए फीडबैक लिया तो पता चला कि तकनीकी अनुभव की कमी और शैक्षणिक गुणवत्ता के गिरते स्तर के चलते करीब 70 प्रतिशत छात्र औद्योगिक संस्थानों के मानकों पर खरे ही नहीं उतर पाते। इस खामी को दूर करने को AICTE ने अभियांत्रिकी शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता परखने के साथ ही छात्रों की योग्यता का आकलन और उसमें सुधार करने को 2017 में एग्जिट एग्जाम कराने का प्रस्ताव रखा।