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Arundhati in DU : डिटेंशन कैंप पर झूठ बोल रही है सरकार

locationजयपुरPublished: Dec 25, 2019 07:32:23 pm

लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती राय (Writer Arundhati Roy) ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में डिटेंशन सेंटर (Detention Centre) के मुद्दे पर सरकार झूठ बोल रही है। अरुंधती राय नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) (सीएए) (CAA) के विरोध में दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) में जमा हुए विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने पहुंची थीं।

Writer Arundhati Roy

Writer Arundhati Roy

लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती राय (Writer Arundhati Roy) ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में डिटेंशन सेंटर (Detention Centre) के मुद्दे पर सरकार झूठ बोल रही है। अरुंधती राय नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) (सीएए) (CAA) के विरोध में दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) में जमा हुए विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने पहुंची थीं। अरुंधति रॉय के साथ ही फिल्म अभिनेता जीशान अय्यूब (Actor Zeeshan Ayub) और अर्थशास्त्री अरुण कुमार (Economist Arun Kumar) भी नार्थ कैंपस (North Campus) पहुंचे।

अरुंधति रॉय ने कहा, सरकार एनआरसी और डिटेंशन कैंप के मुद्दे पर झूठ बोल रही है। प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी (PM Narendra Modi) ने भी इस विषय पर देश के सामने गलत तथ्य पेश किए हैं। जब कॉलेजों में पढऩे वाले छात्र, सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं तो इन छात्रों को अर्बन नक्सल कह दिया जाता है। अरुंधति रॉय ने छात्रों से कहा, एनपीआर भी एनआरसी का ही हिस्सा है। एनपीआर के लिए जब सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला बताइए। अपने घर का पता देने के बजाए प्रधानमंत्री के घर का पता लिखवाएं।

अरुंधति राय ने बेहद तल्ख अंदाज में सरकार की आलोचना करते हुए कहा, नार्थ ईस्ट में जब बाढ़ आती है तो मां अपने बच्चों को बचाने से पहले अपने नागरिकता के साथ दस्तावेजों को बचाती है। क्योंकि उसे मालूम है कि अगर कागज बाढ़ में बह गए तो फिर उसका भी यहां रहना मुश्किल हो जाएगा। जेएनयू में 30 साल तक प्रोफेसर रहे अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने छात्रों से कहा कि वे सरकार से शिक्षा एवं अपने रोजगार को लेकर प्रश्न पूछें। कुमार ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लडख़ड़ा चुकी है, विकास दर साढ़े चार प्रतिशत भी नहीं बची। और इसी तथ्य को छुपाने के लिए ऐसे कानून लाए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि केवल संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले छह प्रतिशत लोग सरकार की गिनती में हैं। असंगठित क्षेत्र में रोजगार की भारी किल्लत है। घटते रोजगार से ध्यान बंटाने के लिए सरकार एनआरसी जैसे कानून का सहारा ले रही है। ताकि लोग अर्थव्यवस्था की बात छोड़ धर्म के नाम पर एक नए विवाद में फंस जाएं।

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